हालिया दिनों में हिमालय क्षेत्र में पहाड़ दरकने की कई रिपोर्ट्स आई हैं। हिमाचल, उत्तराखंड से लेकर नेपाल तक भूस्खलन की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। लेकिन ऐसा क्यों हो रहा है? इसे लेकर वैज्ञानिकों का क्या मानना है?
नासा की फरवरी 2020 की एक स्टडी बताती है कि हिमालय क्षेत्र में भारी बारिश और जलवायु परिवर्तन क्षेत्र में भूस्खलन में बढ़ोतरी का कारण बन सकती है। नासा के वैज्ञानिकों ने सेटेलाइट अनुमान और बारिश के आंकड़ों को स्टडी कर अनुमान लगाया था कि हिमालयी क्षेत्र में बदलते बारिश के पैटर्न भूस्खलन में कैसे बढ़ोतरी कर सकते हैं। स्टडी टीम को पता चला था कि तापमान में हो रही बढ़ोतरी से चीन और नेपाल के बॉर्डर इलाके में भूस्खलन की गतिविधि बढ़ सकती है। बताया गया था कि इस क्षेत्र में विशेष रूप से ग्लेशियर और ग्लेशियल झील वाले क्षेत्र में अधिक लैंडस्लाइड होने से बाढ़ जैसी आपदा आ सकती है और इसका असर सैकड़ों किलोमीटर दूर पड़ सकता है।
लैंडस्लाइड्स में 70 फीसद तक की बढ़ोतरी
एशिया के ऊंचे पहाड़ पूर्व में हिमालय से लेकर पश्चिम में हिंदू कुश और तियान शान पर्वत श्रृंखलाओं तक फैले हुए हैं। जैसे-जैसे पृथ्वी की जलवायु गर्म हो रही है, एशिया के ऊंचे पहाड़ों का जल चक्र बदल रहा है। इसमें सालाना मानसून पैटर्न और बारिश में बदलाव भी शामिल है। रिपोर्ट में बताया गया था कि जून से सितंबर तक मानसून के दौरान भारी बारिश से इस क्षेत्र में लैंडस्लाइड्स की घटनाओं में बढ़ोतरी हो सकती है।
इस स्टडी में पिछले कई सालों के डेटा को समझकर लैंडस्लाइड्स के रुझानों का आकलन किया गया है। स्टडी में बताया गया है कि भविष्य में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है क्योंकि जलवायु गर्म होती जा रही है। स्टडी में इस बात पर जोर दिया गया है कि चीन और नेपाल के बॉर्डर इलाके में लैंडस्लाइड्स में 30 से 70 फीसद तक की बढ़ोतरी देखी जा सकती है।
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