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कोविड-19 के दौरान हाईकोर्ट कर्मियों की रही अहम भूमिका, इनके बगैर फेल हो जाता सिस्टम : हाईकोर्ट के न्यायाधीश

दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश के तौर पर गुरुवार को रिटायर हुए न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ ने कहा कि अदालत कर्मियों और रजिस्ट्री द्वारा किए गए कामकाज के बगैर कोविड-19 के दौरान पूरी प्रणाली ही ध्वस्त हो गई होती।

न्यायमूर्ति एंडलॉ ने हाईकोर्ट द्वारा उनकी विदाई के लिए डिजिटल माध्यम से आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि कर्मचारियों के अलावा कानून पर शोध करने वालों ने भी काफी योगदान दिया, जिसे अवश्य ही स्वीकार किया जाना चाहिए।

न्यायाधीश ने कहा कि इस अदालत की परंपरा न्यायाधीशों, वकीलों को सम्मानित करने की रही है, लेकिन अब तक मैंने अदालत प्रणाली के इन दोनों पहलुओं को सम्मानित करने की परंपरा नहीं देखी है, जिनके बगैर हमारी अदालत प्रणाली महामारी में नाकाम हो जाती। उनके बगैर दिल्ली हाईकोर्ट वह कार्य नहीं कर पाता जिसके बारे में पूरा देश बात कर रहा है।

उन्होंने टिप्पणी की कि हम सौभाग्यशाली हैं। हमे बड़े-बड़े मकान दिए गए हैं, जहां हमारा घर-ऑफिस हैं, लेकिन स्टेनोग्राफर स्क्रीन खोलते ही अपने परिवार से शांत रहने कहते हैं, अपने बच्चों को पढ़ाई नहीं करने, गीत नहीं सुनाने या अपने परिवार को पीछे से नहीं गुजरने को कहते हैं।

इस अवसर पर मुख्य न्यायाधीश डी.एन. पटेल ने कहा कि न्यायमूर्ति एंडलॉ कड़ी मेहनत करने वाले और समय के पाबंद हैं तथा न्यायपालिका को उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा और सराहा जाएगा।

न्यायाधीश के तौर पर अपने 13 साल के कार्यकाल के दौरान न्यायमूर्ति एंडलॉ ने कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए। उन्होंने अगस्त 2011 में सुरेश कलमाडी पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया था, जो राष्ट्रमंडल खेल घोटाले में जेल में कैद थे और संसद के सत्र में शामिल होने की अनुमति मांगी थी।

न्यायाधीश ने 2016 के अपने एक फैसले में दिल्ली विश्वविद्यालय परिसर में कुछ अंतरराष्ट्रीय प्रकाशकों की पुस्तकों के अध्याय की फोटोकॉपी छात्रों को बेचने को लेकर फोटोकॉपी की एक दुकान पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया था। न्यायमूर्ति एंडलॉ ने दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी की उपाधि हासिल की थी।