Friday , November 1 2024

काबुल के और करीब तालिबान, अफगानिस्तान के दूसरे सबसे बड़े शहर कंधार पर किया कब्जा; देखें कहां-कहां हो चुका ‘तालिबानी राज’

अफगानिस्तान से नाटो और अमेरिका सैनिकों की वापसी के बीच तालिबानी को अब तक की सबसे बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। अफगानिस्तान में जारी खूनी संघर्ष के बीच तालिबान ने शुक्रवार को अफगानिस्तान के दूसरे सबसे बड़े शहर कंधार पर कब्जा कर लिया है। समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, तालिबान ने शुक्रवार को दावा किया कि उसने एक और प्रांतीय राजधानी कंधार पर कब्जा कर लिया है। अब सिर्फ राजधानी काबुल उससे बचा हुआ है। काबुल के बाद कंधार ही अफगानिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। 

अधिकारियों ने कहा कि कंधार पर गुरुवार रात तालिबानियों का कब्जा हो गया और सरकारी अधिकारी और उनका दल हवाई मार्ग से किसी तरह शहर से भागने में सफल रहे। बत दें कि इस तरह से अफगानिस्तान में तालिबान की पकड़ धीरे-धीरे मजबूत होती जा रही है। अब तालिबानियों का अगला टारगेट काबुल ही होगा, मगर अभी काबुल खतरे से बाहर दिख रहा है। बता दें कि इसी कंधार में बीते दिनों तालिबानियों ने भारतीय फोटो जर्नलिस्ट दानिश की हत्या कर दी थी।

कंधार पर कब्जा करने से पहले गुरुवार को तालिबान ने दो और प्रांतीय राजधानी गजनी और हेरात पर कब्जा कर लिया था। तालिबानी लड़ाके काबुल से महज 130 किलोमीटर दूर है। इस तरह से आतंकवादी संगठन अब तक 12 प्रांतीय राजधानियों पर कब्जा कर चुका है। गजनी में उग्रवादियों ने श्वेत झंडे फहराए। दो स्थानीय अधिकारियों ने बताया कि शहर के बाहर स्थित एक सैन्य प्रतिष्ठान और खुफिया ठिकाने पर छिटपुट लड़ाई अब भी चल रही है। तालिबान की ओर से ऑनलाइन वीडियो और तस्वीरें डाली गईं, जिनमें उसके लड़ाके गजनी प्रांत की राजधानी गजनी में नजर आ रहे हैं। 

कई दिनों से जारी लड़ाई पर अफगान सुरक्षा बल और सरकार कोई टिप्पणी करने को तैयार नहीं हैं। लगातार बढ़त बना रहे तालिबान से काबुल को सीधे कोई खतरा नहीं है, लेकिन उसकी तेज बढ़त सवाल खड़े करती है कि अफगान सरकार अपने पास बचे इलाकों को आखिर कब तक नियंत्रण में रख पाएगी। संभवत: सरकार राजधानी और कुछ अन्य शहरों को बचाने के लिए अपने कदम वापस लेने पर मजबूर हो जाए क्योंकि लड़ाई के कारण विस्थापित हजारों लोग काबुल भाग आए हैं और खुले स्थानों और उद्यानों में रह रहे हैं।

दो बेस पर सरकार का नियंत्रण
गजनी प्रांत के परिषद सदस्य अमानुल्ला कामरानी ने बताया कि शहर के बाहर बने दो बेस अब भी सरकारी बलों के कब्जे में हैं। इस बीच अफगानिस्तान के सबसे बड़े शहरों में से एक लश्कर गाह में लड़ाई तेज हो गई है। हेलमंद से सांसद नसीमा नियाजी ने बताया कि बुधवार को आत्मघाती कार बम हमले में राजधानी के क्षेत्रीय पुलिस मुख्यालय को निशाना बनाया गया था। गुरुवार को तालिबान ने मुख्यालय पर कब्जा कर लिया और कुछ पुलिस अधिकारियों ने उनके सामने आत्मसमर्पण कर दिया तो कुछ ने नजदीक के गवर्नर्स कार्यालय में शरण ली जो अब भी सरकारी बलों के कब्जे में है।

अब तक करीब चार लाख लोग विस्थापित हुए : यूएन
अफगानिस्तान में बिगड़ते सुरक्षा हालात के बीच इस साल की शुरुआत से करीब चार लाख लोग विस्थापित हुए हैं, खासकर मई में बड़ी संख्या में लोग विस्थापन के लिए मजबूर हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुतारेस के प्रवक्ता ने यह जानकारी दी। गुतारेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने बुधवार को दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ”इस साल की शुरुआत से करीब 3,90,000 लोग देश में संघर्ष के कारण विस्थापित हुए हैं, विस्थापित लोगों की संख्या मई में एकाएक बढ़ी है।

‘लड़ने की इच्छाशक्ति अफगान नेतृत्व तय करे’
तालिबान द्वारा अफगानिस्तान के ज्यादातर हिस्सों को अपने कब्जे में लेने के बीच व्हाइट हाउस ने बुधवार को कहा कि यह अफगान नेतृत्व को तय करना है कि क्या उनके पास जवाबी कार्रवाई की राजनीतिक इच्छाशक्ति है या नहीं। ऐसा दावा किया जा रहा है कि तालिबान ने अफगानिस्तान के 60 प्रतिशत हिस्से को अपने नियंत्रण में ले लिया है। बाइडन प्रशासन ने कहा कि अफगान राष्ट्रीय बलों के पास तालिबान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई की क्षमता और हथियार है। अमेरिका ने दो दशकों तक अफगानिस्तान की राष्ट्रीय सेना को प्रशिक्षण दिया।

अब तक इन पर कब्जा

1. जरांज
2. शेबरगान

3.सर-ए-पुल
4. कुंदुज

5. तालोकान
6. ऐबक

7. फराह
8. पुल ए खुमारी

9. बदख्शां
10. गजनी

11. हेरात
12. कंधार

यहां है भीषण लड़ाई
1. लश्कर गाह