अफगानिस्तान अब उग्रवादी संगठन तालिबान के हाथों में चला गया है। ऐसा कहना अब गलत नहीं होगा। शुक्रवार को तालिबान ने काबुल से महज 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित लोगार प्रांत की राजधानी पर कब्जा जमा लिया। इससे अफगानिस्तान पर तालिबान का शासन जल्दी ही कायम होने की आशंकाएं बढ़ गई हैं। अफगानिस्तान के सांसद सईद करीबुल्लाहह सादात ने कहा, ‘अब तालिबान ने 100 फीसदी नियंत्रण जमा लिया है। अब फाइटिंग मोमेंट जैसी बात भी यहां नहीं रह गई है। ज्यादातर अधिकारियों ने भागकर काबुल में शरण ली है।’
तालिबान ने अफगानिस्तान के अब तक 18 प्रांतों पर कब्जा जमा लिया है। एक अफगान अधिकारी ने कन्फर्म किया है कि सशस्त्र समूह ने पश्चिम प्रांत घोर पर भी कब्जा जमा लिया है। इसके अलावा फिरोज कोह सिटी भी अब तालिबान के हाथों में है। इस बीच नाटो संगठन में अमेरिका के सहयोगी ब्रिटेन ने अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा होने पर दुनिया भर में आतंकवाद के बढ़ने की आशंका जताई है। ब्रिटेन के रक्षा मंत्री बेन वॉलेस ने कहा, ‘जिस तरह से अफगानिस्तान फेल हो रहा है, उससे अलकायदा जैसे आतंकी संगठन मजबूत होंगे और इससे पश्चिमी दुनिया के आगे संकट खड़ा होगा।’
ब्रिटिश मंत्री ने कहा कि मुझे चिंता है कि इस तरह के असफल राष्ट्रों में ही आतंकी अपना ठिकाना बनाते हैं। अलकायदा के वापस आने की आशंका है। इस बीच ऑस्ट्रेलिया ने अपने सभी डिप्लोमैट्स को वापस बुलाना शुरू कर दिया है। इसके अलावा वह उन अफगानियों को भी अपने यहां शरण देगा, जिन्होंने बीते 20 साल में नाटो सेना का समर्थन किया था। बड़ी संख्या में ऐसे लोगों को अमेरिका ने भी शरण दी है। ऑस्ट्रेलिया ने काबुल में अपने दूतावास को मई में ही बंद कर दिया था और जून में अपने सभी सैनिकों को वापस बुला लिया था।