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काबुल में बंद होगा भारतीय दूतावास, वायुसेना ने एयरलिफ्ट किए 120 लोग, लौट रहे वतन

अफगानिस्तान अब पूरी तरह से तालिबान के कब्जे में आ चुका है। इस बीच भारत ने मंगलवार को घोषणा की है कि काबुल में दूतावास में अपने राजदूत और कर्मचारियों को स्वदेश वापस लाया जा रहा है। सी-17 ग्लोबमास्टर विमान अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से 120 से अधिक यात्रियों को लेकर दिल्ली की उड़ान भरी है। इससे पहले सोमवार को भी राजनयिकों और सुरक्षा कर्मियों सहित करीब 40 लोग को दिल्ली पहुंचे। 

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ट्वीट कर कहा, ‘मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए यह फैसला किया गया है कि काबुल में हमारे राजदूत और सभी भारतीय कर्मचारी तुरंत भारत आएंगे।”

आपको बता दें कि राजदूत रुद्रेंद्र टंडन ने पिछले साल अगस्त में काबुल में अपना कार्यभार संभाला था। घटनाक्रम से परिचित लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि भारत को इस बात की आशंका है कि काबुल में उसके राजदूत और राजनयिक कर्मचारियों की सुरक्षा की गांरटी नहीं दी जा सकती है।  लोगों ने कहा कि दूतावास के अधिकारियों और सुरक्षा कर्मियों और कुछ भारतीय नागरिकों को सोमवार देर रात काबुल हवाईअड्डे के सुरक्षित इलाकों में लाया गया।

दिनभर के प्रयासों के बाद एयरपोर्ट पहुंचे अधिकारी
मिल रही जानकारी के मुताबिक, सोमवार को जो लोग भारत वापस आए हैं, उन्हें काबुल के राजनयिक क्वार्टर की रखवाली करने वाले तालिबान लड़ाकों ने वापस कर दिया था। बाद में पूरे दिन भारतीय पक्ष द्वारा गहन प्रयासों के बाद वे हवाई अड्डे पर पहुंचे। इन प्रयासों में विदेश मंत्री एस जयशंकर भी शामिल थे। मंगलवार को लगभग 3 बजे उन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के साथ इस संबंध में अपनी चर्चा के बारे में ट्वीट किया।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ट्वीट कर कहा, ‘मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए यह फैसला किया गया है कि काबुल में हमारे राजदूत और सभी भारतीय कर्मचारी तुरंत भारत आएंगे।”

आपको बता दें कि राजदूत रुद्रेंद्र टंडन ने पिछले साल अगस्त में काबुल में अपना कार्यभार संभाला था। घटनाक्रम से परिचित लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि भारत को इस बात की आशंका है कि काबुल में उसके राजदूत और राजनयिक कर्मचारियों की सुरक्षा की गांरटी नहीं दी जा सकती है।  लोगों ने कहा कि दूतावास के अधिकारियों और सुरक्षा कर्मियों और कुछ भारतीय नागरिकों को सोमवार देर रात काबुल हवाईअड्डे के सुरक्षित इलाकों में लाया गया।

दिनभर के प्रयासों के बाद एयरपोर्ट पहुंचे अधिकारी
मिल रही जानकारी के मुताबिक, सोमवार को जो लोग भारत वापस आए हैं, उन्हें काबुल के राजनयिक क्वार्टर की रखवाली करने वाले तालिबान लड़ाकों ने वापस कर दिया था। बाद में पूरे दिन भारतीय पक्ष द्वारा गहन प्रयासों के बाद वे हवाई अड्डे पर पहुंचे। इन प्रयासों में विदेश मंत्री एस जयशंकर भी शामिल थे। मंगलवार को लगभग 3 बजे उन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के साथ इस संबंध में अपनी चर्चा के बारे में ट्वीट किया।

उन्होंने लिखा, “अफगानिस्तान के ताजा हालात पर एंटनी ब्लिंकन से बात किया। काबुल में हवाई अड्डे के संचालन को बहाल करने की तात्काल आवश्यक्ता पर बात की। इस संबंध में चल रहे अमेरिकी प्रयासों की मैं तहेदिल से सराहना करता हूं।”

ईरान होते भारत पहुंचा C-17 ग्लोबमास्टर
इस मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने कहा कि दोनों सी-17 ने ईरान के हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल किया। दोनों विमानों ने अरब सागर के ऊपर से अधिक घुमावदार मार्ग का उपयोग करके काबुल में उड़ान भरी थी ताकि पाकिस्तान के ऊपर से उड़ान भरने और अफगान हवाई क्षेत्र में बहुत अधिक समय बिताने से बचा जा सके।

तालिबान ने दिलाया था सुरक्षा का भरोसा
तालिबान के प्रवक्ता सुहैल साहीन ने सोमवार रात ट्वीट किया था: “हम सभी राजनयिकों, दूतावासों, वाणिज्य दूतावासों और धर्मार्थ कर्मचारियों को आश्वस्त करते हैं, चाहे वे अंतर्राष्ट्रीय हों या राष्ट्रीय, कि IEA की ओर से उनके लिए एक सुरक्षित वातावरण बनाया जाएगा। उन्हें सुरक्षा प्रदान किया जाएगा। इंशाअल्लाह।”

पिछले साल कोविड -19 के प्रकोप के बाद, भारत ने हेरात और जलालाबाद में अपने वाणिज्य दूतावासों को बंद कर दिया था, जबकि कंधार और मजार-ए-शरीफ में वाणिज्य दूतावासों को स्थानीय अफगान कर्मचारियों की देखभाल में छोड़ दिया गया था। हाल के हफ्तों में तालिबान के साथ लड़ाई तेज हो गई थी।

भारत ने जारी की आपातकालीन वीजा की सुविधा
वहीं, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार को ट्विटर पर घोषणा की कि उसने “अफगानिस्तान में मौजूदा स्थिति के मद्देनजर वीजा प्रावधानों की समीक्षा की है और इलेक्ट्रॉनिक वीजा की एक नई श्रेणी पेश की है जिसे “ई-आपातकालीन एक्स-विविध वीजा” कहा जाता है।” यह भारत में प्रवेश के लिए फास्ट ट्रैक वीजा आवेदन है।

जयशंकर ने यह भी ट्वीट किया कि भारतीय पक्ष काबुल में सिख और हिंदू समुदाय के नेताओं के साथ लगातार संपर्क में है। मंत्री ने ट्वीट किया कि वह लगातार काबुल में स्थिति की निगरानी कर रहे हैं। भारत लौटने की चाह रखने वालों की चिंता को समझ रहे हैं। एयरपोर्ट संचालन सबसे बड़ी चुनौती है। इस संबंध में भागीदारों के साथ चर्चा की जा रही है।