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मेघालय में पूर्व अलगाववादी की कथित हत्या की न्यायिक जांच

पूर्वोत्तर के सबसे शांत राज्य रहे मेघालय में एक पूर्व अलगाववादी नेता चेरिस्टरफील्ड थांगखिव की कथित हत्या के विरोध में हिंसा भड़क उठी. अब सरकार ने इस मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं.मेघालय में हालात इतने बेकाबू हो गए कि गृह मंत्री ने इस्तीफा दे दिया है. नाराज लोगों ने मुख्यमंत्री कोनराड संगमा के घर पर भी पेट्रोल बम फेंके. राजधानी मेघालय में दो दिनों के लए कर्फ्यू लागू कर दिया गया है और चार दिनों के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं. बावजूद इसके कई जगह से हिंसा और आगजनी की खबरें मिल रही हैं. शिलांग में असम के एक वाहन पर भी प्रदर्शनकारियों ने हमला किया जिसमें ड्राइवर बुरी तरह घायल हो गया. शहर के कई हिस्सों में पथराव की घटनाएं भी सामने आईं. राज्य की परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए असम सरकार ने राज्य के लोगों से मेघालय नहीं जाने को कहा है. राज्य सरकार ने शिलांग और आसपास के इलाकों में अगले 48 घंटों के लिए कर्फ्यू बढ़ा दिया है और 54 वर्षीय थांगखिव की मौत की न्यायिक जांच कराने के आदेश दिए हैं. न्यायिक जांच कराने का फैसला मुख्य मंत्री कोनराड संगमा के नेतृत्व में हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया. उप मुख्यमंत्री के नेतृत्व में एक शांति समिति भी बनाई गई है जो नागरिक संगठनों के साथ मिलकर इलाके में शांति स्थापित करने का प्रयास करेगी. क्या है मामला? हाइनीट्रेप नेशनल लिबरेशन काउंसिल (एचएनएलसी) के पूर्व महासचिव चेरिस्टरफील्ड थांगखिव ने वर्ष 2018 में उपमुख्यमंत्री प्रेस्टोन त्यसोंग के समक्ष आत्मसमर्पण किया था.लेकिन बीते 13 अगस्त को जब पुलिस ने बम धमाकों के सिलसिले में उनके घर छापेमारी की तो मुठभेड़ में उनकी मौत हो गई. राज्य के लोग इसे हत्या करार दे रहे हैं. पुलिस की दलील है कि राज्य में हाल में हुए सिलसिलेवार धमाकों के संबंध में जब उनके घर पर छापेमारी की गई तब यह मुठभेड़ हुई. इसी दौरान मौत हो गई. पुलिस महानिदेशक आर चंद्रनाथन के मुताबिक पुलिस की एक टीम ने राज्य में हाल में हुए आईईडी हमलों के सिलसिले में थांगखिव के आवास पर छापेमारी की. उनका कहना था, “थांगखिव खिलहेरियाट में आईईडी हमले में वांछित था. हमारे पास सबूत थे. पुलिस की एक टीम ने तड़के उसके घर पर छापेमारी की. पुलिस के घर में घुसते ही उसने एक चाकू लहराया और कॉन्स्टेबल पर हमला किया. पुलिस ने जवाबी फायरिंग की जिसमें उसकी मौत हो गई” चंद्रनाथन ने बताया कि थांगखिव को सिविल अस्पताल ले जाया गया जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया. उनके दो साथियों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है. साथ ही थांगखिव की बंदूक, उनके लैपटॉप में मौजूद दस्तावेज और मोबाइल फोन भी जब्त किए गए हैं. यहां इस बात का जिक्र जरूरी है कि बीते मंगलवार को शिलांग के एक भीड़-भाड़ वाले बाजार में आईईडी विस्फोट हुआ था जिसमें दो लोग घायल हुए थे.एचएनएलसी इस धमाके की जिम्मेदारी ले चुका है. इससे पहले बीते दिनों एक पुलिस बैरक में भी आईईडी विस्फोट हुआ था. उसमें एक पुलिसकर्मी घायल हो गया था और कई इमारतें क्षतिग्रस्त हो गई थीं. पुलिस का कहना है कि उक्त धमाकों के सिलसिले में गिरफ्तार तीन में से दो लोगों ने इस मामले में थांगखिव के शामिल होने का सबूत दिया था. कैसा है यह संगठन? थांगखिव जिस संगठन एचएनएलसी से जुड़े थे उसकी इतनी अहमियत क्यों है? दरअसल, एचएनएलसी खासी जयंतिया आदिवासी समुदाय के हितों की रक्षा के लिए देश के दूसरे राज्यों से आने वालों लोगों के खिलाफ लड़ने का दावा करती है. चेरिस्टरफील्ड थांगखिव एचएनएलसी के संस्थापक सदस्यों में एक था. राज्य में बीते कुछ वर्षो में स्थानीय बनाम बाहरी के मुद्दे पर कई बार हिंसा हो चुकी है. एचएनएलसी की स्थापना वर्ष 1987 में हुई थी. थांगखिव (54) को चेयरमैन जूलियस डोरफैंग और कमांडर-इन-चीफ बॉबी मरवीन के साथ राज्य के सबसे खतरनाक उग्रवादियों में से एक माना जाता था. जूलियस डोरफैंग ने 24 जुलाई 2007 को आत्मसमर्पण कर दिया था. थांगखिव ने भी 18 अक्टूबर 2018 को मेघालय के उप-मुख्यमंत्री प्रेस्टोन त्यसोंग के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था. संगठन के महासचिव साइनकूपर नोंगट्रा ने थांगखिव की मौत को हत्या करार देते हुए इसके लिए सरकार और पुलिस को जिम्मेदार ठहराया है. प्रदेश बीजेपी ने भी थांगखिव की मौत पर दुख जताया है.थांगखिव की मौत की खबर फैलते ही राजधानी समेत कई हिस्सों में हिंसा भड़क उठी. हालात इतने बेकाबू हो गए कि गृह मंत्री लहकमन रिम्बुई ने इस कथित मुठभेड़ के खिलाफ इस्तीफा दे दिया. उन्होंने मुख्यमंत्री के भेजे अपने इस्तीफे में लिखा है, “थांगखिव के घर पुलिस ने छापा मारा और उसके बाद एनकाउंटर में उसे मार दिया. इस दौरान पुलिस ने तमाम सीमाएं लांघ दीं. इस घटना से मैं हैरत में हूं. इस मामले की स्वतंत्र और न्यायिक जांच की जानी चाहिए” जांच के आदेश इस मामले पर हिंसा और विरोध बढ़ने के बाद मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने इसकी मैजिस्ट्रेट से जांच कराने के आदेश दे दिए हैं. उनका कहना था, “हाल के बम विस्फोटों में थांगखिव के शामिल होने के कई ठोस सबूत जांच एजेंसियों को मिले थे. इसी के आधार पर छापा मारा गया” उस घटना के बाद के बाद शिलांग में अशांति और विरोध-प्रदर्शनों का दौर जारी है और राजधानी में दो दिन का कर्फ्यू लगा दिया गया है. इसके साथ ही चार जिलों में इंटरनेट सेवाएं भी रोक दी गई हैं. शिलांग में असम के एक वाहन पर प्रदर्शनकारियों ने हमला किया जिसमें ड्राइवर बुरी तरह घायल हो गया. शहर के कई हिस्सों में पथराव की घटनाएं भी सामने आईं. असम के एक शीर्ष पुलिस अधिकारी जीपी सिंह ने राज्य के लोगों से कर्फ्यू लागू रहने तक शिलांग नहीं जाने की अपील की है. तस्वीरों मेंः भारत का सबसे लंबा रोड ब्रिज.