सेंटर ऑफ पॉलिटिकल एंड फॉरेन अफेयर्स के अध्यक्ष फैबियन बौसार्ट ने कहा कि अफगानिस्तान के नागरिक देश की मौजूदा स्थिति के लिए पाकिस्तान को दोषी ठहरा रहे हैं क्योंकि उसने तालिबान को शरण दी थी। टाइम्स ऑफ इज़राइल में बॉसार्ट ने लिखा है कि 2001 में संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा हमले के बाद तालिबान ने उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के क्षेत्रों को अपना ठिकाना बनाया।
सोशल मीडिया पर अफगानिस्तान में तालिबानी कब्जे के लिए पाकिस्तान और उसकी जासूसी एजेंसी इंटर-सर्विस इंटेलिजेंस (ISI) को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। लोग पाकिस्तान के खिलाफ गुस्से का इजहार कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “ट्विटर पर, तालिबान द्वारा जीत की घोषणा के तुरंत बाद #sanctionpakistan ट्रेंड करने लगा। हैशटैग का 730,000 बार इस्तेमाल किया गया। इस हैशटैग का 37 प्रतिशत अफगानिस्तान में इस्तेमाल हुआ।”
बाउसर्ट ने आगे कहा कि यहां तक कि अफगानिस्तान के पहले उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने तालिबान को समर्थन देकर अफगान आबादी पर अत्याचार करने के लिए खुले तौर पर पाकिस्तान का नाम लिया। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने यह भी कहा था कि तालिबानी कोई सैन्य संगठन नहीं बल्कि सामान्य नागरिक हैं।
बॉसार्ट के अनुसार, कई अफगान अधिकारियों और यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने भी देखा कि तालिबान पाकिस्तान की मदद के बिना देश पर कब्जा नहीं कर सकता। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ ने कुछ साल पहले स्वीकार किया था कि तालिबान के जन्म के लिए आईएसआई जिम्मेदार था क्योंकि अफगानिस्तान के अधिकारियों और सबसे बड़े जातीय समूह ने भारत का समर्थन किया था। मुशर्रफ ने कहा, “जाहिर है कि हम पाकिस्तान के खिलाफ इस भारतीय कार्रवाई का मुकाबला करने के लिए कुछ समूहों की तलाश कर रहे थे।”विशेष रूप से, तालिबान को पाकिस्तान के समर्थन से पाकिस्तान में कई आतंकवादी संगठनों का जन्म हुआ, जिसने अंततः देश के नेतृत्व को चुनौती दी और पाकिस्तान के अंदर कई आतंकी हमले किए।