उत्तराखंड के देहरादून में इस वक्त 89 अफगान नागरिक पंजीकृत हैं। इसमें आठ लोग ऐसे हैं, जिन्होंने भारत की नागरिकता के लिए आवेदन किया है। ये सभी अफगान हिंदू हैं, जो करीब 20 सालों से यहां रहे रहे हैं। इनमें से ज्यादातर देहरादून में प्रेमनगर और पटेलनगर के रहने वाले हैं। कुल नौ लोगों ने आवेदन किया था, इसमें से एक की मौत हो चुकी है। बाकी देहरादून में पंजीकृत अफगान नागरिकों में आईएमए कैडेट और छात्र शामिल हैं।
कोविड के चलते दून में नहीं हैं अफगान छात्रदून के कई स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में अफगानिस्तान के छात्र पढ़ते हैं, लेकिन पिछले कुछ समय से स्कूल एवं संस्थान बंद होने के कारण वे यहां नहीं हैं। सोमवार को उन्हें लेकर शहर में काफी हलचल रही। खुफिया एजेंसियां भी इन छात्रों के बारे में पता करती रहीं, लेकिन वर्तमान में दून में किसी की मौजूदगी नहीं मिली। मसूरी रोड स्थित एक नामी स्कूल में अफगानिस्तान के तीन छात्र पढ़ते हैं, लेकिन पिछले डेढ़ साल से कोरोना के चलते वे यहां नहीं आए। इसके अलावा राजपुर रोड स्थित एक निजी संस्थान में भी तीन छात्र हैं, जो अभी संस्थान की ओर से दिल्ली में ट्रेनिंग पर गए हैं।
आईएमए में प्रशिक्षण ले रहे हैं 80 अफगानिस्तानी
भारत में आये विदेशी अफगानिस्तानी नागरिक वहां के हालात को लेकर परेशान हैं। वे अपने परिजनों से लगातार संपर्क में जुटे हुए हैं। देहरादून में भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में करीब 80 अफगानिस्तानी कैडेट प्रशिक्षण ले रहे हैं। उनमें भी खलबली मची हुई है। हालांकि सैन्य अधिकारियों का दावा है कि यहां की स्थिति सामान्य है। परिजन बोले, सरकार देर न करे
देहरादून निवासी संदीप की पत्नी भावना ने केंद्र सरकार से भारतीयों को जल्द से जल्द वापस लाने का प्रयास करने की मांग की। हिन्दुस्तान से बातचीत में भावना ने कहा कि जब से अफगानिस्तान में तनाव शुरू हुआ, तब से ही अपने पति की कुशलता की चिंता बनी हुई है। फोन पर बात करने में भी कई बार समस्या हो रही है। सरकार को भी इस संकट के वक्त देशवासियों को लाने के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए।
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