फिल्म: भुज- द प्राइड ऑफ इंडिया
निर्देशक: अभिषेक दुधैया
कलाकार: अजय देवगन, सोनाक्षी सिन्हा, संजय दत्त, एमी विर्क और नोरा फतेही
ओटीटी: डिजनी हॉटस्टार
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर देशभक्ति से प्रेरित फिल्में रिलीज होती रही हैं। इस साल भी ऐसा हुआ है। सिद्धार्थ मल्होत्रा की ‘शेरशाह’ के बाद अजय देवगन की ‘भुज: द प्राइड ऑफ इंडिया’ ने ओटीटी प्लेटफॉर्म पर दस्तक दे दी है। निर्देशक अभिषेक दुधैया के निर्देशन में बनी फिल्म में युद्ध, चीखने-चिल्लाने, बलिदान, मरने-मारने के बावजूद मानवीय भावनाओं की कमी देखने को मिलती है। करीब दो घंटे की फिल्म में कई किरदार और कहानियां सामने आती हैं लेकिन कोई भी अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाता।
क्या है कहानी
फिल्म में अजय देवगन स्क्वाड्रन लीडर विजय कुमार कार्णिक के किरदार में हैं। फिल्म की कहानी की शुरुआत 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के नैरेशन से शुरू होती है। अजय देवगन बताते हैं कि ईस्ट पाकिस्तान और वेस्ट पाकिस्तान अलग हो गए हैं, जिसके बाद बंगाली मुसलमानों पर पाकिस्तानी सेना का जुल्म जारी है। पाक राष्ट्रपति याह्या खान की योजना है कि भारत के भुज एयरबेस पर कब्जा किया जाए। वह भुज एयरबेस पर फाइटर जेट्स भेजते हैं जिससे नुकसान होता है। फिल्म में अजय देवगन के अलावा शरद केलकर, संजय दत्त, एमी विर्क, सोनाक्षी सिन्हा और नोरा फतेही की मुख्य भूमिका है।
नाटकीय लगती है कहानी
मुस्लिम पुरुषों की इमेज और भी नाटकीय लगती है। एक पाकिस्तानी अधिकारी का नाम तैमूर रखा गया है, जो कि हमें लगता है कि यह सबसे बुरा नाम है। पाकिस्तान के किसी व्यक्ति के बारे में नहीं दिखाया गया है जो कि आम इंसान के रूप में है।
फिल्म में कुछ ‘अच्छे मुसलमान’ हैं। इन्हीं में से एक मुस्लिम किरदार नोरा फतेही ने निभाया है। वह एक पाकिस्तानी अधिकारी के घर में भारतीय जासूस हैं। अपने पांच मिनट के रोल में वह एक दर्जन हथियारबंद लोगों के चंगुल में फंसने से बचने की कोशिश करती हैं।
क्या है कमी
‘भुज’ आपके आंख, कान और दिल पर एक के बाद एक हमले करता है। अभिषेक सुनिश्चित करते हैं कि जब लोग डांस ना कर रहे हों और ना रो रहे हों तो फिर आपके पास इसकी कोई कमी ना हो। जमीनी स्तर पर जब देखें तो चीजें बहुत नकली लगने लगती हैं। अजय देवगन के कई सीन के अलावा सोनाक्षी सिन्हा का उच्चारण अटपटा लगता है। ‘भुज’ में सबसे बड़ी समस्या राष्ट्रवाद के नाम पर चीखना-चिल्लाना है।