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पता चल गया अफगानिस्तान से भागकर कहां गए राष्ट्रपति अशरफ गनी, परिवार सहित इस इस्लामिक देश में ली शरण

अफगानिस्तान छोड़ कर भागे अफगानी राष्ट्रपति अशरफ गनी इस वक्त कहां हैं? इस बात का खुलासा हो गया है। इस्लामिक देश संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने कहा है कि अशरफ गनी उनके देश में हैं। यूएई की तरफ से कहा गया है कि उसने अशरफ गनी और उनके परिवार को मानवीय आधार पर यूएई में रहने की इजाजत दी गई है। बता दें कि तालिबान द्वारा काबुल पर कब्जा करने के बाद अशरफ गनी अफगानिस्तान छोड़ कर भाग गये थे। यूएई के राज्य संचालित न्यूज एजेंसी ‘WAM’ ने बुधवार को गनी के यूएई में होने की जानकारी दी। हालांकि, यह नहीं बताया गया कि गनी उनके देश में कहां ठहरे हुए हैं। न्यूज एजेंसी ने देश के विदेश मंत्री के हवाले से यह जानकारी दी है।

काबुल न्यूज ने ट्वीट कर दावा किया कि अशरफ गनी चार दिन पहले काबुल से भागकर संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी अबू धाबी में बस गए हैं। पहले सूत्रों ने बताया था कि पूर्व राष्ट्रपति पड़ोसी ताजिकिस्तान या उज्बेकिस्तान जा सकते थे, बीच में ये भी खबर आई थी कि अशरफ गनी ओमान में रूके हैं। हालांकि 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर तालिबान के अधिग्रहण के बाद से उनके ठिकाने की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई थी।

अशरफ गनी अपने सहयोगियों के साथ 15 अगस्त को अफगानिस्तान से भाग गये थे। हाल ही में काबुल में रूसी दूतावास ने भी खबर दी थी कि अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी काबुल से चार कारों और नकदी से लदे एक हेलीकॉप्टर के साथ भाग गए। यूएई सऊदी अरब और पाकिस्तान सहित तीन देशों में से एक है, जिसने पिछले तालिबान शासन को मान्यता दी थी, जिसने 1996 से 2001 तक शासन किया था। अब ये साफ हो  चुका है कि अशरफ गनी यूएई में हैं।इधर अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने तालिबान के एक गुट के शक्तिशाली एवं वरिष्ठ नेता से मुलाकात की है जिसे एक समय जेल में रखा गया था और जिसके समूह को अमेरिका ने आतंकवादी संगठन के तौर पर सूचीबद्ध किया है। पूर्व राष्ट्रपति करजई और पदच्युत सरकार में वरिष्ठ पद पर रहे अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने अनस हक्कानी से शुरुआती बैठकों के तहत मुलाकात की। करजई के प्रवक्ता ने बताया कि इससे अंतत: तालिबान के शीर्ष नेता अब्दुल गनी बरादर से बातचीत का आधार तैयार होगा। 
     
अमेरिका ने हक्कानी नेटवर्क को वर्ष 2012 में आतंकवादी संगठन घोषित किया था और उनकी भविष्य के सरकार में भूमिका से अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लग सकते हैं। 
 तालिबान ने ‘समावेशी इस्लामिक सरकार बनाने का वादा किया है लेकिन पूर्व में इस्लाम के कट्टर व्याख्या से असहमति रखने वालों के प्रति अहिष्णुता को देखते हुए इस बारे शंका बनी हुई है।

इससे पहले अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के फैसले का बचाव करते हुए उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवान ने कहा था कि बाइडन का मानना है कि ताजिकिस्तान या पाकिस्तान या ईरान के पास अमेरिकी सेना की मौजूदगी बनाए रखने के लिए देश को युद्ध में ”लड़ने और मरने की जरूरत नहीं है।

बाइडन ने अप्रैल में घोषणा की थी कि अमेरिकी सेना को इस साल 11 सितंबर तक अफगानिस्तान से वापस बुलाया जाएगा जिससे दो दशक तक चले देश के सबसे लंबे युद्ध का अंत हो गया। अमेरिका ने पहले ही अपने ज्यादातर सैनिकों को वापस बुला लिया है और 31 अगस्त तक सभी सैनिकों को वापस बुलाने की योजना है।

एक सवाल के जवाब में सुलिवान ने माना कि अमेरिका के कुछ हथियार तालिबान के हाथ लग गए हैं और अफगान सुरक्षा बलों ने मूल रूप से उन्हें नष्ट कर दिया है।  राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने संकेत दिया कि अमेरिका तालिबान के खिलाफ कदमों पर अन्य मित्रों और सहयोगियों से बातचीत कर रहा है।