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चुनाव से पहले यूपी की सियासत में बढ़ेगा संजय निषाद का कद? शाह-नड्डा से मुलाकातों का जल्‍द दिखेगा असर

उत्‍तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले निषाद पार्टी के अध्‍यक्ष संजय निषाद का सियासी कद बढ़ सकता है। संजय निषाद की दिल्‍ली में एक बाद फिर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात हुई है। इस बैठक में भाजपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष जेपी नड्डा, सीएम योगी आदित्‍यनाथ और प्रदेश अध्‍यक्ष स्‍वतंत्र देव सिंह भी मौजूद रहे। माना जा रहा है कि बैठक में आगामी विधानसभा चुनाव में निषाद पार्टी की हिस्सेदारी और निषाद बाहुल्य सीटों पर चर्चा हुई। संजय निषाद उत्‍तर प्रदेश में चार सीटों पर होने वाले एमएलसी मनोनयन और मंत्री बनने की दौड़ में भी शामिल हैं। कुछ दिन पहले ही उनकी नड्डा और शाह से मुलाकात हुई थी। अब एक बार फिर सीएम योगी आदित्‍यनाथ की मौजूदगी में हुई इस मुलाकात से सियासी अटकलें तेज हो गई हैं। उम्‍मीद जताई जा रही है कि भाजपा चुनाव में जातीय समीकरणों को दुरुस्‍त करने के लिहाज से संजय निषाद को मंत्रिमंडल में शामिल करने के अलावा यूपी में कुछ जातियों को आरक्षण की सौगात दे सकती है।केंद्र सरकार से राज्यों को मिले अधिकार के तहत प्रदेश की सामान्य वर्ग में शामिल कुछ जातियों को पिछड़े में शामिल किया जा सकता है। 17 अति पिछड़ों को अनुसूचित जाति वर्ग में शामिल करने की भी संभावना जताई जा रही है। 

संजय निषाद की अ‍हमियत 
संजय निषाद की राजनीति का आधार निषाद समाज के वोटों की ताकत है। इसी ताकत के बदले वह सत्‍ता में भागीदारी की मांग कर रहते हैं। उनकी ताकत है उनकी जाति और उसका बड़ा जनसांख्‍यिकीय समूह। बताते हैं कि पूर्वी यूपी समेत राज्‍य के करीब 16 जिलों में विधानसभा और लोकसभा की कई सीटों पर इस जाति समूह के वोट निर्णायक होते हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश में निषाद समुदाय की अच्छी-खासी आबादी है। इस पार्टी का निषाद, केवट, मल्लाह, बेलदार और बिंद बिरादरियों में अच्छा प्रभाव माना जाता है। डा.संजय निषाद दावा करते हैं कि यूपी की 100 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर उनका समुदाय जिताने या हराने की ताकत रखता है।