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उत्तराखंड की पहली ऑस्कर नामित डॉक्यूमेंट्री मोतीबाग फिर चर्चाओं में आई

उत्तराखंड की पहली ऑस्कर नामित डॉक्यूमेंट्री फिल्म मोतीबाग एक बार फिर चर्चाओं में है। बीबीसी ने एक माह तक चलने वाले बीबीसी रील्स ऑनलाइन लांग शॉट फिल्म फेस्टीवल में इस डॉक्यूमेंट्री को चुना है। यह डॉक्यूमेंट्री पौड़ी जिले के सांगुड़ा गांव के प्रगतिशील काश्तकार विद्यादत्त शर्मा पर आधारित है। वह 86 साल के हैं और आज भी खेती व जनसरोकारों से जुड़े हुए हैं। दूरदर्शन के प्रसार भारती व पब्लिक सर्विस ब्राडकास्टिंग ट्रस्ट के सहयोग से बनी साठ मिनट की डॉक्यूमेंट्री फिल्म मोतीबाग के 2019 के ऑस्कर में नामित होने के बाद विश्व समुदाय का ध्यान पौड़ी जिले के इस गांव पर गया था।

फिलहाल इस फिल्म को आपकी वोटिंग की जरुरत है, वोटिंग लाइन 31 अगस्त रात 12 बजे तक खुली हैं। फिल्म को यदि खिताब जीतना है तो उसे आपके समर्थन की जरुरत पड़ेगी। यह समारोह 13 अंर्तराष्ट्रीय फिल्म फेस्टीवल का अभूतपूर्व गठबंधन है। जिसमें विश्वभर से 110 फिल्में नामंकित की गई हैं। मोतीबाग को उसकी कहानी कहने के सशक्त अंदाज की वजह से शार्टलिस्ट किया गया है। एक व्यक्ति तीन बार वोटिंग कर सकता है। ऑडियंस अवार्ड विजेता की घोषणा बुधवार एक सितम्बर को की जाएगी। डाक्यूंमेंट्री का निर्देशन निर्मल चंदर डंडरियाल ने किया है। वे पौड़ी जिले से ही हैं। 

मेरे बाद क्या होगा इसकी चिंता नहीं
विद्यादत्त शर्मा ने 1967 में मोतीबाग की नींव रखी। इसके लिए उन्होंने 28 साल की आयु में नायब तहसीलदार की नौकरी को तिलाजंलि दी। गांव के पलायन व बंजर पड़े खेतों ने उन्हें पीड़ा पहुंचाई। कहते हैं, आज की पीढ़ी श्रम से नहीं बुद्धिबल से कमाना चाहती है। प्रकृति के सामने ये चातुर्यता अधिक चलती नहीं। कर्मवीर होना ही पड़ता है। बारिश की बूंदों को सहेजकर पानी की व्यवस्था की, ढाई एकड़ का एक चक बनाया और न सिर्फ सफलता से नींबू, संतरा, माल्टा, पूलम, आड़ू, गोभी, मूली, टमाटर, बैंगन, शिमला मिर्च, कद्दू, लौकी का उत्पादन किया बल्कि मधुमक्खी पालन भी कर रहे हैं। 86 साल का होने के बावजूद वह रोजाना अपने खेतों में अधिकांश समय बिताते हैं। उनके बाद मोतीबाग का क्या होगा इस पर वह कहते हैं कि यह उनका विषय नहीं है, उनकी जिम्मेदारी पूरी हो चुकी है। 

24 किलो की मूली उगाई, विश्व रिकार्ड का प्रयास
विद्यादत्त ने कुछ साल पहले 24 किलो की मूली उगाई। लेकिन जानकारी के अभाव में उसका डाक्यूमनटेशन नहीं हो पाया। दुबारा प्रयास करने पर 22.750 किलो मूला उगाया। इस बार महामूला रिकार्ड मूल्यांकन समिति व पौड़ी जिला उद्यान विभाग ने इसे दर्ज किया। विद्यादत्त बताते हैं कि 31 किलो सर्वाधिक वजनी मूली उगाने का रिकार्ड जापान के नाम पर है। वह इसे तोड़ना चाहते हैं। यदि रिकार्ड टूटा तो वह उस मिथक को भी तोड़ पाएंगे कि पौड़ी की जमीन निकृष्ट नहीं है और यहां भी अच्छी खेती हो सकती है। अपने अनुभव को वह निरंतर गीतों के माध्यम से दर्ज करते रहते हैं। उनके बेटे पत्रकार त्रिभुवन उनियाल ने बताया कि उनकी कविताओं में पहाड़ की समस्याएं, पलायन, रोजगार, खेती जैसे मुद्दे होते हैं। राज्य सरकार से किसान श्री समेत अनेक सम्मान उन्हें मिल चुके हैं।