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चुन-चुनकर ‘दुश्मनों’ का सफाया कर रहा तालिबान, अफगान पर और पकड़ मजबूत करने को हिटलर की तरह ‘चाल’ चल रहा

अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद इस देश पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए तालिबानहिटलर की तरह की बर्ताव कर रहा है। आतंकी संगठन ने इससे पूर्व की सरकार के समय सुरक्षा तंत्र से जुड़े लोगों की पहचान कर उनका सफाया करना शुरू कर दिया है। दूसरी ओर उसने पश्चिमी देशों से अपनी सत्ता को मान्यता दिलाने के लिए अपनी छवि सुधारने के क्रम में संक्रमणकालीन सरकार बनाने पर काम शुरू कर दिया है। रिपोर्ट की मानें तो तालिबान घर-घर जाकर उन लोगों की पहचान कर रहा है, जो पहले एनडीएस के लिए काम कर चुके हैं या फिर अमेरिका के लिए काम कर चुके हैं।

तालिबान पश्चिम से मान्यता के बदले एक चेहरा बचाने वाली संक्रमणकालीन सरकार बनाने की कोशिश करते हुए पिछले शासन की सुरक्षा व्यवस्था में शामिल लोगों की पहचान करके और उनका सफाया करके काबुल पर अपनी पकड़ मजबूत कर रहे हैं। काबुल से आने वाली रिपोर्टें बहुत ही गंभीर हैं। इनमें कहा जा रहा है कि तालिबान ने राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय (एनडीएस), सेना के साथ काम करने वाले या दुभाषियों के रूप में अमेरिका और संबद्ध बलों की मदद करने वाले सभी अफगानों को चिह्नित करके उनका सफाया करने के लिए हिटलर की कुख्यात खुफिया एजेंसी ‘गेस्टापो’ की तरह काम कर रहा है।

एक ओर जहां तालिबान पिछले शासन से जुड़े लोगों को निशाना बना रहा है, वहीं दूसरी ओर अपनी भारी सशस्त्र नैतिक पुलिस के बल पर वे न तो बच्चों और न ही महिलाओं को बख्श रहे हैं। राजधानी में ब्यूटी पार्लर बंद कर दिए गए हैं और महिलाओं के चेहरे वाले होर्डिंग और विज्ञापनों पर कालिख पोत दी गई है। गुरुवार को देश में स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। इस दौरान पूर्वी शहर असदाबाद में तालिबान आतंकवादियों द्वारा भीड़ पर की गई गोलीबारी में कई लोग मारे गए थे। तालिबान ने काबुल में एक रैली के पास भी हवाई फायरिंग की।

अशरफ गनी शासन से जुड़े लोगों को सार्वजनिक रूप से गोली मारकर बदला लेने के लिए काबुल और कंधार में भारी हथियारों से लैस हक्कानी नेटवर्क के कैडर घर-घर तलाशी ले रहे हैं। एनडीए के पूर्व प्रमुख अमरुल्ला सालेह से जुड़े लोगों पर विशेष जोर दिया जा रहा है, जो अब अहमद मसूद के साथ पंजशीर घाटी से तालिबान के खिलाफ प्रतिरोध का नेतृत्व कर रहे हैं।

एक ओर जहां, संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी समूह अमेरिका निर्मित एम -4 कार्बाइन और मशीनगनों के साथ लोगों को निर्देशित कर रहा है, वहीं राजनीतिक मोर्चे पर तालिबान ब्रिटेन और पाकिस्तान के इशारे पर अमेरिका के साथ बातचीत करने की कोशिश कर रहा है। वह चाहता है कि अमेरिका उसे मान्यता दे, इसके बदले में वह फिलहाल संक्रमणकालीन सरकार बनाएगा। चीन, रूस और ईरान जैसे अमेरिका के विरोधी पहले से ही काबुल के पतन में बिडेन प्रशासन के अपमान पर खुश हो रहे हैं और उम्मीद की जाती है कि तालिबान सरकार को स्थापित होने पर वे इसे मान्यता भी दे देंगे।