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ये हैं उत्तराखंड के पुरस्कृत अस्पताल,अल्ट्रासाउंड तक नहीं हो पाता

उत्तराखंड में कायाकल्प उत्कृष्टता अवार्ड पाने वाले कई अस्पतालों में बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। कहीं वर्षों से लिफ्ट बंद पड़ी है तो कहीं एक्सरे मशीन धूल फांक रही है। कई में महिलाओं का प्रसव कराने का इंतजाम नहीं है। राज्य के जिन अस्पतालों को हाल में अवॉर्ड मिला, उनमें से कई अस्पताल, मरीजों को समुचित स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं। हालांकि विभागीय अफसरों का कहना है कि पुरस्कार पाने के लिए अलग मानक हैं। क्या है स्थिति : पुरस्कार के लिए नामित उत्तरकाशी के महिला अस्पताल में लिफ्ट वर्षों से बंद है। यहां ओटी रूम, ब्लड टेस्ट, अल्ट्रासाउंड की सुविधा भी नहीं है।

चंपावत में पाटी के अस्पताल को लगातार चौथे साल अवॉर्ड मिला है। यहां भी महिला चिकित्सक नहीं हैं। एक्सरे मशीन भी धूल फांक रही है। देहरादून में सहिया के अस्पताल में अल्ट्रासाउंड सुविधा छह साल से बंद है। चंपावत में पुल्ला का अस्पताल एक डॉक्टर, एक होम्योपैथिक फार्मासिस्ट और वार्ड ब्वॉय के भरोसे चल रहा है। चंपावत के ही बनबसा के अस्पताल में तैनात डॉक्टर कोविड के नोडल अफसर हैं व टनकपुर में भी काम कर रहे हैं। यहां सामान्य प्रसव की भी व्यवस्था नहीं है।  नैनीताल के रामनगर में पीपीपी मोड के चल रहे अस्पताल में विशेषज्ञों की कमी है। अल्ट्रासाउंड अक्सर ही बंद रहता है। 

अस्पतालों को कायाकल्प अवार्ड सफाई और संक्रमण मुक्ति के लिए दिया जाता है। इस श्रेणी में पुरस्कार पाने के लिए मरीजों की संतुष्टि, कर्मचारियों की कार्यशैली, सफाई, बायोमेडिकल वेस्ट आदि पर अंक मिलते हैं।