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जातिगत जनगणना के लिए दबाव! आज पीएम से मिलेंगे बिहार सीएम नीतीश कुमार

जाति आधारित जनगणना कराने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा है। अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार आज देश भर में जाति आधारित जनगणना कराने की मांग को लेकर प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात करेंगे। नीतिश कुमार 10 दलों के नेताओं के एक प्रतिनिधमंडल के साथ पीएम से मुलाकात करेंगे। इस बैठक पर सभी की निगाहें टिकी हैं। अगले साल सात राज्यों में होने वाले चुनावों को देखते हुए जाति आधारित जनगणना की इस चर्चा को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। नीतिश कुमार पहले ही साफ कर चुके हैं कि अगर यह बातचीत सफल रहती हैं तो बहुत बढ़िया है, वरना वह बिहार में इसे कराने पर विचार करेंगे। 

नीतिश कुमार ने कहा, “यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और हम लंबे समय से इसकी मांग कर रहे हैं। अगर यह हो जाता है, तो इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता। इसके अलावा, यह सिर्फ बिहार के लिए नहीं होगा, पूरे देश में लोगों को इससे फायदा होगा। इसे कम से कम एक बार किया जाना चाहिए। हम इस एंगल से सोमवार को पीएम के सामने अपने विचार रखेंगे।’

नीतिश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) बिहार में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सहयोगी है और जाति आधारित जनगणना के पक्ष में है। जब नीतिश कुमार से पूछा गया कि क्या सोमवार को मामला सुलझ जाएगा तो उन्होंने कहा, “यह हम देखेंगे, कुछ लोग पहले ही दिल्ली पहुंच चुके हैं और कुछ मेरे साथ जाएंगे। कल हम 11 बजे मुलाकात करेंगे।”

नीतिश कुमार रविवार शाम नई दिल्ली के लिए रवाना हुए। इस महीने की शुरुआत में, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह के नेतृत्व में जद (यू) के एक प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और जाति आधारित जनगणना के लिए दबाव डाला। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के विधायक और बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार से कहा है कि अगर केंद्र अपने स्टैंड से हटने से इनकार करता है तो वह “अपने दम पर” इसे करे। बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के आखिरी दिन 30 जुलाई को यादव ने इस मुद्दे पर सीएम से मुलाकात की थी।

नीतिश कुमार ने शनिवार को संवाददाताओं से कहा, ‘लोगों की इच्छा है कि जाति के आधार पर जनगणना हो। मुझे आशा है कि इस पर सकारात्मक चर्चा होगी। अगर देश में केंद्र द्वारा जाति जनगणना नहीं कराई जाती है, तो बिहार में सरकार द्वारा इस पर विचार किया

पिछली जाति-आधारित जनगणना 1931 में आयोजित और जारी की गई थी, जबकि 1941 में, डेटा एकत्र किया गया था लेकिन सार्वजनिक नहीं किया गया था। 2011 में, एक सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना की गई थी, लेकिन “विसंगतियों” के आधार पर डेटा को फिर से सार्वजनिक नहीं किया गया था।

अगले साल सात राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए जाति आधारित जनगणना कराना सरकार के लिए एक संवेदनशील मुद्दा है। जाति आधारित जनगणना की मांग को लेकर कई राजनीतिक दल एक साथ आए हैं। जद-यू, अपना दल और रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया-अठावले जैसे भाजपा सहयोगियों ने जाति आधारित जनगणना कराने की मांग उठाई है। कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल और समाजवादी पार्टी जैसे कई विपक्षी दल भी मांग कर रहे हैं कि यह कवायद होनी चाहिए।