स्वतंत्रता सेनानियों की सूची से हटे 387 शहीदों के ना को लेकर घमासान छिड़ गया है। केरल में विपक्षी नेता वीडी सतीशन ने सोमवार को इस फैसले को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना की और कहा कि सन् 1921 में मालाबार में हुए मोपला विद्रोह में हिस्सा लेने वाले 387 शहीदों के नाम स्वतंत्रता सेनानियों की सूची से हटाना इतिहास के साथ अन्याय है।
सतीशन ने कहा, ‘संघ परिवार का सबसे बड़ा दुश्मन इस देश का इतिहास है। किसी भी अन्य तानाशाह की तरह पीएम नरेंद्र मोदी की भी कोशिश इतिहास से छेड़छाड़ कर अपना नया इतिहास बनाने की है।’
बता दें कि सन् 1921 में ब्रिटिश अधिकारियों और उनके हिंदू सहयोगियों के खिलाफ केरल में मोपला मुसलमानों ने सशस्त्र विद्रोह छेड़ा था। यह विद्रोह करीब 6 महीने लंबा चला जिसमें लगभग 10 हजार लोगों की जान गई थी। आरएसएस लंबे समय से इस मुद्दे को उठाती रही है। उसका कहना है कि यह विद्रोह सांप्रदायिक था, जिसमें मुस्लिमों ने हिंदू जमींदारों को निशाना बनाया था।
सतीशन ने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा, ‘विरयामकुननाथ कुंजाहमद हाजी एक निडर योद्धा थे जिन्होंने बिना थके ब्रिटिश सेना के खिलाफ जंग लड़ी। इतिहास में उनका नाम एक निडर योद्धा के तौर पर दर्ज है, जिन्हें ब्रिटिश सरकार ने मौत की सजा सुनाई थी और फांसी के समय आंखों पर पट्टी न बांधने तक का आदेश दिया था।’ बता दें कि मोपला विद्रोह का नेतृत्व विरयामकुननाथ कुंजाहमद हाजी ने ही किया था।
सतीशन ने कहा कि जिन लोगों ने उस समय ब्रिटिश शासन के खिलाफ राष्ट्रीय आंदोलन को खारिज कर दिया था वे आज हमारे गौरवपूर्ण इतिहास से छेड़छाड़ की कोशिश कर रहे हैं।