अर्धसैन्य बलों में अतिरिक्त बटालियन और मुख्यालय आदि मांग के मद्देनजर करीब एक लाख जवानों की भर्ती की जरूरत महसूस की जा रही है। सभी सुरक्षा बलों को अतिरिक्त मानव संसाधन की जरूरत है। लेकिन प्रस्ताव के मुताबिक, भर्ती न होने से लगातार गैप बढ़ रहा है। अर्धसैन्य बलों के कल्याण से जुड़े संगठन ने इस मुद्दे को लेकर सरकार पर दबाव बनाया है।
सबसे ज्यादा बीएसएफ में करीब 29 हजार पद रिक्त हैं। सीआरपीएफ और सीआईएसएफ में भी बड़ी संख्या में पद खाली हैं। यह संख्या 26 हजार के आसपास है। एसएसबी और आईटीबीपी ने भी नई बटालियन का प्रस्ताव सरकार को भेज रखा है। इन बलों को भी बड़ी संख्या में जवान भर्ती करने की जरूरत है। अगर संसद में दिए गए जवाब को ही मानक मान लें तो एसएसबी में 18,643, आईटीबीपी में 5,784 और असम राइफल्स में 7,328 पद खाली हैं। जबकि नई बटालियन, बीओपी की आवश्यकता के अनुपात में ये संख्या ज्यादा हैं।
55 हजार मेडिकल फिट अभ्यर्थी मौजूद
कन्फेडरेशन ऑफ एक्स पैरामिलिट्री वेलफेयर एसोशिएशन के महासचिव रणबीर सिंह ने कहा कि सिपाहियों के पदों पर केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में 1 लाख से ज्यादा रिक्तियां हैं। पुरानी भर्ती प्रक्रिया के तहत 55 हजार मेडिकल फिट अभ्यर्थी मौजूद हैं। वर्ष 2018 की भर्ती में फिट पाए गए लोगों को नियुक्ति पत्र नहीं दिए गए हैं। कई लोग देरी की वजह से अधिक उम्र के हो गए।
वीआरएस और रिटायरमेंट से भी गैप बढ़ा
नई भर्ती में देरी के अलावा वीआरएस और रिटायरमेंट की वजह से भी गैप बढ़ा है। कन्फेडरेशन का दावा है कि वर्ष 2011-20 के दौरान करीब 81 हजार जवानों ने वीआरएस लिया, जबकि करीब 16 हजार ने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। स्वाभाविक रिटायरमेंट की वजह से भी रिक्तियां बढ़ रही हैं।