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पांच हजार रुपये में गरीबों को करोड़पति बना रहे, जानें क्या है पूरा मामला

टैक्स माफिया कागजों में गरीबों को करोड़पति बना रहे हैं। सिर्फ पांच हजार रुपये के लालच में लेबरों के नाम फर्म खुलवाई जा रही है। उसी फर्म की आड़ में जीएसटी चोरी हो रही है। छह माह में 16 गरीबों को कारोबारी बनाकर करोड़ों की टैक्स चोरी की गई। 

फर्जी फर्मों के जरिए जीएसटी चोरी का सिंडीकेट कानपुर से दिल्ली तक फैला है। बोगस फर्म खोलने के लिए पैन कार्ड, आधार और पते का प्रमाणपत्र देना होता है। माफिया टैक्स चोरी करने के लिए गरीबों को फांस रहे हैं। उनके पैन कार्ड से लेकर आईटीआर भरवाया जा रहा है। फिर उनके नाम से फर्म का रजिस्ट्रेशन कराया जा रहा है। हस्ताक्षर और बिल फाड़ने के एवज में 170 रुपये रोज का भुगतान होता है।  एडीश्नल कमिश्नर ग्रेड-1 स्टेट जीएसटी पीके सिंह ने बताया कि बोगस फर्मों के भंडाफोड़ में ये राज खुल रहा है। असली जालसाज पकड़ में नहीं आते और गरीब फंस जाते हैं।  

सचल दल अफसरों की घर तक की मॉनीटरिंग 

टैक्स चोरों का सिंडीकेट इतना संगठित है कि सचल दल और एसआईबी अफसरों की गतिविधियों की पल-पल की निगरानी हो रही है। जांच टीम के मूवमेंट पर ऑफिस से लेकर घर तक नजर है। फतेहपुर में ट्रक को अगवा करने की जांच के बाद हैरान करने वाले खुलासे हो रहे हैं। सिंडीकेट के गुर्गे अफसर के दफ्तर या घर से बाहर निकलते उसकी गाड़ी का नंबर नोट कर लेते हैं और उसे मैसेज कर दिया जाता है। फिर उस गाड़ी की रेकी लगातार होती है।

एनजीओ, ट्रस्ट की आड़ में टैक्स चोरी पर नकेल

एनजीओ, ट्रस्ट और धर्मार्थ संस्थाओं के नाम पर ली जाने वाली टैक्स छूट पर नकेल कसी है। टैक्स छूट की धारा 80जी और 12-ए के अंतर्गत पंजीकरण के लिए आने वाले 90 फीसदी आवेदनों को आयकर विभाग ने खारिज कर दिया। धारा 12 ए के अंतर्गत चैरिटेबल ट्रस्ट, एनजीओ, सोसायटी का पंजीकरण होता है। इस एक्ट के अंतर्गत संगठनों की किसी भी आय पर कोई टैक्स नहीं लगता है। पूरी आय करमुक्त होती है। धारा 80 जी में पंजीकरण होने के बाद संस्था को दान देने पर दानदाता को आयकर नियमों के तहत छूट मिलती है। इसके तहत दान के 50% तक की टैक्स छूट दी जाती है। 

आयकर विभाग के पास धारा 12-ए के तहत पंजीकरण के 4881 और धारा 80-जी के अंतर्गत 2070 आवेदन आए थे। इनमें से केवल धारा 12-ए के अंतर्गत केवल 355 संगठनों को पंजीकृत किया गया। 2471 आवेदनों को रिजेक्ट कर दिया गया जबकि 2055 आवेदनों को अधूरी जानकारी की वजह से रिजेक्ट किया गया। यानी महज 7 फीसदी संस्थानों को ही पूरी जांच के बाद मान्यता दी गई।  इसी तरह धारा 80-जी के अंतर्गत 2070 में से 379 संगठनों का पंजीकरण कराया गया। 961 आवेदन खारिज कर दिए गए और 730 को अधूरी जानकारी की वजह से रिजेक्ट किया गया। कारपोरेट मामलों के वरिष्ठ सलाहकार आदेश टंडन ने कहा कि चैरिटेबिल ट्रस्ट को लेकर आयकर विभाग की सख्ती काफी बढ़ गई है। यही वजह है कि नए संगठनों का गहन जांच के बाद ही पंजीकरण कराया जा रहा है। 

सात हजार संस्थाओं पर भी आफत

केवल नए संगठन ही नहीं बल्कि वर्तमान में चल रहे 7 हजार संगठनों पर भी आफत टूट पड़ी है। आयकर विभाग ने कर छूट लेने वाली संस्थाओं से तय फार्मेट पर सूचनाएं मांगी हैं। 40 फीसदी संगठन जानकारी ही नहीं दे पा रहे हैं। चैरिटेबल ट्रस्ट, एनजीओ आदि को प्रतिवर्ष किसने-कितना दान दिया, यह जानकारी आयकर विभाग को देनी होगी। आयकर विभाग ने इसके लिए एक फार्म जारी किया है। आयकर विभाग के नये नियमों से ट्रस्ट और एनजीओ में खलबली मची है। फर्जी दान बताकर आयकर छूट लेने वालों पर शिकंजा कसा जा रहा है