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आपदा में पीड़ितों को ऐसे करेंगे रेस्क्यू, प्रबंधन में लगे कर्मी खुद बारिश में फंसे

उत्तराखंड में भारी बरसात के बाद कई जिलों में आपदा जैसे हालत हो गए हैं। बरसात के बाद भूस्खलन की वजह से नेशनल हाईवे सहित कई सड़कें भी बंद हो गई हैं। प्रशासन की ओर से राहत व बचाव का कार्य किया तो जा रहा है लेकिन, लगातार हो रही बारिश से बचाव कार्य में लगे कर्मचारियों की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं।

वहीं मौसम विभग ने 26 से दो दिन तक भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। दून नगर निगम ने जिन कर्मचारियों की ड्यूटी आपदा कंट्रोल रूम में बचाव-राहत कार्य में लगाई, वे खुद ही बारिश में फंस गए।  दोपहर की पाली में पांच में से दो कर्मचारी कंट्रोल रूम पहुंच सके।  एक कर्मचारी के न आने की वजह स्वास्थ्य ठीक नहीं होना बताई गई। जबकि बाकी दो कर्मचारी तेज बारिश के कारण नहीं आ सके। नगर निगम के वरिष्ठ पार्षदों में इस बात को लेकर खासी नाराजगी है।

सालावाला से पार्षद भूपेंद्र कठैत ने बताया कि तेज बारिश से नाले में एकाएक इतना मलबा आ गया कि वह ब्लॉक हो गया।  पानी लोगों के घरों में घुस गया। कंट्रोल रूम में फोन करने पर पता चला कि जिन कर्मचारियों की ड्यूटी राहत कार्य में लगी है, वे खुद बारिश के कारण नगर निगम नहीं पहुंच पाए। किशननगर से पार्षद नंदिनी शर्मा ने बताया कि अफसरों को फोन करने के बाद भी मदद नहीं मिली। अजबपुरकला की दो शिकायतों पर भी टीम नहीं पहुंची। नगर स्वास्थ्य अनुभाग ने दावा किया था कि किसी कर्मचारी का स्वास्थ्य खराब हो जाए या किसी कारणवश न आ पाए तो बैकअप के लिए टीम है।

प्रदेश में देहरादून, हल्द्वानी, रुड़की, हरिद्वार, रुद्रपुर आदि शहरों में लोगों को जलभराव की समस्या से भी रूबरू होना पड़ा। शहर से सटे सहस्रधारा और मालदेवता क्षेत्र में भारी बारिश से काफी नुकसान हुआ है। सहस्रधारा में जहां कालीरौ पर बना वैकल्पिक मार्ग बह गया, वहीं मालदेवता में सड़क पर भारी मलबा आ गया। निर्माणाधीन सड़क का मलबा आने से शेरकी गांव के पास धनोल्टी और द्वारा जाने वाली सड़क बंद हो गई।

प्रधान विकास क्षेत्री ने बताया किरात में बड़ी मात्रा में मलबा आने से सड़क पर आवाजाही ठप हो गई। दो जेसीबी की मदद से मलबा हटाकर सुबह नौ बजे के लगभग सड़क पर वाहनों की आवाजाही सुचारु हो पाई। देहरादून से पहाड़ी इलाके के स्कूलों में पढ़ाने जाने वाले शिक्षकों के वाहन भी फंसे रहे। पर्यटक स्थल सहस्रधारा को जाने वाली सड़क पर भी जगह-जगह मलबा आ गया। इससे सहस्रधारा समेत कई गांवों की आवाजाही ठप हो गई। 

सहस्रधारा पर्यटक स्थल से पहले कालीरौ पर निर्माणीधीन पुल के ऊपर बनी वैकल्पिक सड़क पानी के तेज बहाव में बह गई। स्थानीय निवासी अनिल नेगी ने बताया कि इससे सहस्रधारा के लिए वाहनों की आवाजाही बाधित रही। बांदावाली के कच्चे रास्ते से कुछ वाहन निकले, लेकिन सड़क खराब होने के कारण कई वाहन चालक लौट गए। सहस्रधारा क्षेत्र में भी भारी बारिश से नुकसान हुआ है। यहां कई ग्रामीण सड़कें मलबा आने के कारण बंद हो गई हैं। जानकारी के अनुसार, सरोना, बकवाल, काल्ड़ीगाड़ समेत कई गांवों का संपर्क शहर से कट गया है। ग्रामीणों ने बंद हुई सड़कों को जल्द खोलने की मांग की है। 

देहरादून के कई इलाकों में मंगलवार देर रात भारी बारिश हुई। मास्टर प्लान के तहत बसे आईटी पार्क में ड्रेनेज सिस्टम फेल हो गया। सड़कों पर इतना पानी था कि मानो नदी बह रही हो। इस कारण सड़क और फुटपाथ बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। भारी बारिश से रपटे में भारी मात्रा में पानी आया और इससे आईटी पार्क के पीछे मलबे का करीब छह से सात फीट ढेर लग गया। क्षमता से ज्यादा पानी आने से नाला उफान पर आ गया।

पानी का दबाव इतना तेज था कि जगह-जगह फुटपाथ की टाइलें उखड़ गईं। नालियां मलबे और कचरे से पट गईं। पानी सड़क पर बहने लगा। तेज बहाव के बीच कई वाहन चालकों को सुरक्षित निकालने के लिए एसडीआरएफ की टीम को रात के समय रेस्क्यू ऑपरेशन चलाना पड़ा। लोगों का कहना है कि यहां ऐसा मंजर पहले नहीं देखा। 

नगर निगम के अधोईवाला वार्ड स्थित कोटला खाले के आसपास करीब 80 घरों में पानी घुस गया। कई घरों का राशन और सामान खराब हो गया। डीएम डॉ. आर. राजेश कुमार ने बुधवार सुबह सवा दस बजे पार्षद संजीव मल्होत्रा के साथ प्रभावित इलाके का दौरा किया और खाले में आए मलबे की सफाई को सिंचाई विभाग की टीम भेजी। पटवारी ने हर घर जाकर नुकसान का जायजा लिया। सूरज थापा, अजय, मनोज, अनुराधा ने बताया कि लोग रात भर जागते रहे। 

नगर निगम के किशननगर वार्ड में रात के समय भारी जलभराव हुआ। सैयद मोहल्ला, लोहारवाला में छोटी बिंदाल में एकाएक जलस्तर बढ़ने से कई घरों में पानी भर गया। यहां घुटनों तक पानी जमा होने से काफी नुकसान हुआ। पार्षद नंदिनी शर्मा ने बताया कि लोग रातभर जागते रहे और बुधवार को दिनभर घरों से पानी निकालने में जुटे रहे। यहां करीब 45 घरों में बारिश का पानी घुसा था। उन्होंने जिला प्रशासन से नुकसान की भरपाई की मांग की। 

सिडकुल के आर्किटेक्ट प्लानर वाईएस पुंडीर कहते हैं कि जाल लगवाएगा सिडकुल रपटे में अत्यधिक मात्रा में पत्थर-मलबा आने के कारण यह समस्या हो रही है। इसका स्थाई समाधान निकालने के लिए बरसात के बाद कुछ जगह जाल लगवाए जाएंगे। नालियों की सफाई का काम शुरू करवा दिया गया है। सिडकुल के स्तर से ठोस कार्ययोजना तैयार की जा रही है। 

उत्तराखंड में हो रही भारी बारिश को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संबंधित अधिकारियों को 24 घंटे अलर्ट रहने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने आपदा परिचालन केंद्रों को भी अलर्ट रहने को कहा। आपदा से जुड़े अफसरों की बैठक लेने के साथ सीएम ने आपदा से संबंधित सूचना संकलन व जिलों से समन्वय की भी जानकारी ली। सीएम ने सचिव आपदा प्रबंधन को निर्देश दिए कि आपदा से जुड़ी सूचनाओं से उन्हें तत्काल दी जाएं। उच्चाधिकारियों और विभागों के अफसरों का व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाएं ताकि राहत कार्य तेजी से किए जा सकें।

उन्होंने जिलाधिकारियों से भी समन्वय बनाने के निर्देश दिए। सीएम ने कहा कि 15 सितंबर तक सभी सड़कों की स्थिति का आकलन कर लिया जाए ताकि बारिश बंद होते ही मरम्मत शुरू की जा सके। नारायणबगड़ और जखोली में सड़क खोलने को पीडब्ल्यूडी द्वारा तैनात जेसीबी के चालकों से फोन पर बात कर सीएम ने स्थिति जानी। उन्होंने कहा कि सतर्कता और जिम्मेदारी के साथ दायित्वों का निर्वहन करें। इस दौरान कैबिनेट मंत्री यतीश्वरानंद और सचिव आपदा प्रबंधन एसए मुरुगेशन मौजूद रहे। 

उत्तराखंड में देहरादून, नैनीताल समेत आठ जिलों में आज और कल भारी बारिश की चेतावनी मौसम विभाग ने दी है। मौसम पूर्वानुमान को देखते हुए ऑरेंज अलर्ट जारी करते हुए पहाड़ी मार्गों में संभलकर यात्रा करने की सलाह दी है। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि शुक्रवार के बाद भी बारिश का दौर जारी रहेगा। खासतौर पर देहरादून, नैनीताल, पौड़ी, चंपावत, पिथौरागढ़, ऊधमसिंहनगर, बागेश्वर में अगले दो दिन सतर्कता बरतने की जरूरत है। 28 और 29 को नैनीताल, चम्पावत,बागेश्वर, पिथौरागढ़ जिलों में कहीं कहीं तेज बारिश की संभावना है। 

जर्जर पुल और पुश्ते दे रहे हादसे को न्यौता
नगर निगम के लोक निर्माण अनुभाग की टेंडर की प्रक्रिया में लेटलतीफी के कारण वार्डों में कई जगह छोटे पुल, पुश्ते और नालियों का निर्माण समय से पूरा नहीं हो पाया। इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। समय से काम हो जाते तो कई जगह लोगों को इतनी दिक्कत नहीं झेलनी पड़ती।

राहत कार्य में जुटने के लिए कर्मचारियों की संख्या कम है तो संख्या बढ़ाई जाएगी। आपदा राहत कार्य में किसी तरह की कोताही नहीं होने देंगे। मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी को कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही टीमों को पर्याप्त संसाधन उपलब्ध करवाने को कहा गया है।