बुधवार का दिन भगवान श्रीगणेश को समर्पित है। भगवान श्रीगणेश प्रथम पूज्य देवता हैं और आदिकाल से पूजित हैं। मान्यता है कि जहां भगवान श्रीगणेश हैं, वहां समस्त देवी-देवता विराजमान होते हैं। वास्तु शास्त्र में भगवान श्रीगणेश की उपासना से जुड़े आसान से उपाय बताए गए हैं, इन्हें अपनाकर भगवान श्रीगणेश की कृपा पाई जा सकती है। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में।जिन लोगों की कुंडली में बुध दोष होता है, उनके लिए भगवान श्रीगणेश का व्रत बहुत फलदायी माना जाता है। घर में कोई सदस्य अस्वस्थ है तो गाय के गोबर से श्रीगणेश की मूर्ति बनाएं और पूजा करें। वास्तु दोष दूर करने के लिए बैठे हुए भगवान श्रीगणेश की मूर्ति लगाएं। अगर घर के किसी हिस्से में वास्तुदोष है तो उसे दूर करने के लिए सिंदूर और घी को मिलाकर स्वास्तिक बनाएं। ऐसा करने से वास्तु दोष दूर हो जाता है। भगवान श्रीगणेश के व्रत के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होकर पूजाघर को गंगाजल से पवित्र करें। लकड़ी के पाटे पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर गणपति जी की स्थापना करें। पूजन के समय पूर्व या उत्तर दिशा में मुख रखें। भगवान को हल्दी, कुमकुम, रोली से तिलक लगाएं। पुष्प अर्पित कर दूब चढ़ाएं। भगवान श्रीगणेश की धूप, दीप से आरती करें। मोदक और लड्डू का भोग लगाएं। हल्के लाल या पीले रंग के वस्त्र धारण करें। इस दिन भगवान श्रीगणेश की मूर्ति घर के मुख्य द्वार पर लगाएं। क्रिस्टल से बनी भगवान श्रीगणेश की मूर्ति को वास्तुदोष दूर करने में बहुत कारगर माना गया है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है और धन धान्य, सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। माना जाता है कि जहां श्रीगणेश का वास होता है वहां परिवार में सभी सदस्यों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। हल्दी से बने श्रीगणेश की मूर्ति रखना बहुत ही शुभ माना जाता है।