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कहां हो गई चूक, अब क्या करेगा सुपरपावर? अमेरिका का अगला कदम तय करेगा अफगान का भविष्य

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में आतंकी हमले के बाद अब दुनिया की निगाहें अमेरिका के अगले कदम पर लगी हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने गुनाहगारों को सजा देने की बात कही है, इसलिए अमेरिका के अगले कदम पर सबकी निगाहें हैं। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका आईएस के खिलाफ कार्रवाई तो करेगा लेकिन इस मामले में उसके पास भी सीमित विकल्प हैं। अमेरिकी सैनिकों के अफगानिस्तान भेजे जाने के आसार नहीं हैं।रक्षा विशेषज्ञ लेफ्टिनेंट जनरल राजेन्द्र सिंह ने कहा कि अमेरिका ने जिस प्रकार से अफगानिस्तान से अपनी फौजें हटाईं, उससे इस प्रकार की घटनाएं होने का खतरा महसूस किया जा रहा था। दरअसल, अफगानिस्तान आतंकी संगठनों का गढ़ बना हुआ है। कभी आधे इराक पर काबिज होने वाला आईएस भी यहां सक्रिय है। भले ही वह अब सीमित हो चुका हो। उसने अफगानिस्तान में आत्मघाती हमले को अंजाम देकर अमेरिका और तालिबान दोनों को चुनौती दी है। अमेरिकी फौज को भी इस हमले का निशाना बनाया गया था। संभवत इसके जरिये यह संदेश देने की कोशिश की है कि वह ताकतवर हो रहा है। दूसरे, तालिबान भी आईएस की मदद लेता रहा है इसलिए इस हमले के पीछे वह तालिबान को भी खबरदार कर रहा है।

वायुसेना को तुरंत हटाने की जरूरत नहीं थी
रक्षा विशेषज्ञ के अनुसार, अमेरिका को अफगानिस्तान से फौंजें हटाने की प्रक्रिया को चरणबद्ध तरीके से पूरा करना चाहिए था। एयरफोर्स को तुरंत हटाने की जरूरत नहीं थी। साथ ही उसने ड्रोन एवं लड़ाकू विमानों के जरिये अफगानिस्तान की सुरक्षा की कार्य योजना भी पेश करना चाहिए थी। इससे तालिबना या आईएस के हौंसले नहीं बढ़ते। लेकिन उसने ऐसा कुछ नहीं किया। इस प्रकार अपनी सेनाएं हटाई जैसे तालिबान से बचकर भागना चाह रहा हो।

अफगानिस्तान की स्थिति बेहद नाजुक
अब अफगानिस्तान की स्थिति बेहद नाजुक मोड़ पर है। आने वाले दिनों में देखना यह देखना होगा कि तालिबान बदला हुआ दिखता है या नहीं, और लोगों में उसके प्रति विश्वास पैदा होता है या नहीं। यदि तालिबान की भी अपनी चरपंथी हरकतें जारी रहीं और वहां आतंकी समूह भी सक्रिय होते रहे तो फिर देश गृह युद्ध की ओर जा सकता है। लेकिन यदि तालिबान के सहयोग से अमेरिका सख्ती से आतंकी गुटों से निपटता है और तालिबान अपना चेहरा बदलता है तो फिर स्थिति में सुधार किया जा सकता है।