अगर भारत बायोटेक के कोविड रोधी टीके कोवैक्सीन की एक खुराक किसी ऐसे व्यक्ति को दी गई जो पहले कोरोना वायरस से संक्रमित हुआ था, तो वह दो
खुराक जितनी एंटीबॉडी प्राप्त कर लेता है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है।
यह अध्ययन शनिवार को इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित हुआ। इसमें कहा गया है, व्यापक आबादी के बीच किए गए अध्ययनों में हमारे
प्रारंभिक निष्कर्षों की पुष्टि यदि की जाती है, तो पहले से सार्स-सीओवी-2 से संक्रमित व्यक्तियों को बीबीवी152 टीके की एक खुराक की सिफारिश की जा
सकती है। जिससे अधिक लोग सीमित टीका आपूर्ति का लाभ उठा सकें। भारत के पहले स्वदेशी कोविड-19 रोधी टीके कोवैक्सीन का कूटनाम बीबीवी 152 है।
इसकी दो खुराक चार से छह सप्ताह के अंतराल के साथ दी जाती हैं।
114 लोगों पर किया गया शोध
सार्स-सीओवी-2 विशिष्ट एंटीबॉडी प्रतिक्रिया को जांचने के लिए स्वास्थ्यकर्मियों के साथ-साथ अग्रिम पंक्ति के कर्मियों में यह अध्ययन किया गया। इसमें
एंटीबॉडी प्रतिक्रिया की तुलना उन व्यक्तियों के साथ की गई जिनमें संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई थी। अध्ययन में फरवरी से मई 2021 तक चेन्नई में
टीकाकरण केंद्रों पर कोवैक्सीन प्राप्त करने वाले 114 स्वास्थ्यकर्मियों और अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं से रक्त के नमूने एकत्र किए गए थे।
निष्कर्ष
अध्ययन में कहा गया, कुल मिलाकर सार्स-सीओवी-2 से पहले संक्रमित हुए उन लोगों में एंटीबॉडी की अच्छी प्रतिक्रिया देखने को मिली जिन्होंने कोवैक्सीन
की पहली खुराक ली थी। वह उन लोगों में मिली एंटीबॉडी के बराबर ही थी जिन्होंने दोनों खुराक ली थी और वे पहले इस वायरस से संक्रमित नहीं हुए थे।