असम कांग्रेस ने राज्य में अपने दो प्रमुख सहयोगियों के साथ संबंध तोड़ने का फैसला किया है, जिनके साथ पार्टी ने इस साल के विधानसभा चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन का मुकाबला किया था। लोकसभा सांसद बदरुद्दीन अजमल के नेतृत्व वाले एआईयूडीएफ और हाग्रामा मोहिलरी के बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट के साथ गठबंधन तोड़ते ही 10-पार्टियों के गठबंधन ‘महाजोत’ का भी पतन हो जाएगा।
असम कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन बोरा की अध्यक्षता में एक कोर-कमेटी की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई और गठबंधन तोड़ने का फैसला लिया गया। एआईयूडीएफ ने हाल ही में भाजपा और मुख्यमंत्री की प्रशंसा की थी। इसने कांग्रेस नेताओं को चकित कर दिया।
कांग्रेस को रास नहीं आई BJP की तारीफ
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता बोबीता शर्मा ने कहा, “एआईयूडीएफ (ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट) के नेतृत्व और वरिष्ठ सदस्यों ने लगातार और रहस्यमय तरीके से भाजपा और मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की प्रशंसा की है। इसने कांग्रेस पार्टी की धारणा को प्रभावित किया है।” शर्मा ने कहा, “इस संबंध में एक लंबी चर्चा के बाद असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कोर कमेटी के सदस्यों ने सर्वसम्मति से फैसला किया कि एआईयूडीएफ अब ‘महाजोत’ का गठबंधन सहयोगी नहीं रह सकता है। इस संबंध में एआईसीसी को सूचना भेजा जाएगा।” उन्होंने यह भी कहा कि बैठक में बीपीएफ (बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट) के साथ गठबंधन को लेकर भी चर्चा हुई।
बोबीता शर्मा ने कहा, “चूंकि बीपीएफ पहले ही ‘महाजोत’ में बने रहने के लिए विभिन्न मंचों पर अपनी अनिच्छा व्यक्त कर चुका है, इसलिए एपीसीसी अध्यक्ष को इस मामले पर निर्णय लेने और आलाकमान को सूचित करने का पूरा अधिकार दिया गया है।”
गौरव गोगोई ने की थी ‘एकला चलो’ की अपील
लोकसभा सांसद गौरव गोगोई ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि कांग्रेस को अब गठबंधन का हिस्सा नहीं होना चाहिए। पार्टी को स्वतंत्र रहना चाहिए और जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करने पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा, “जब कांग्रेस महाजोत में थी और अपने सहयोगियों के लिए कई सीटें छोड़नी पड़ी, तो कई जमीनी कार्यकर्ता निराश थे। यह समय पार्टी कार्यकर्ताओं की आकांक्षाओं और भावनाओं को सुनने का है।”
आपको बता दें कि हाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में मुख्य विपक्षी कांग्रेस को 29 सीटें मिलीं। 2016 की तुलना में तीन सीटें अधिक थी। एआईयूडीएफ ने पिछली बार की 13 सीटों की तुलना में 16 सीटें जीती। वहीं, बीपीएफ को सिर्फ चार सीटें और सीपीएम ने सिर्फ एक सीट पर जीत मिली।
संबंध तोड़ने के कांग्रेस के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए एआईयूडीएफ ने भी बयान जारी कर कहा है कि यह फैसला ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ है। एआईयूडीएफ ने यह भी कहा कि ‘महाजोत’ असम के सभी धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक दलों का गठबंधन था और कांग्रेस ने गठबंधन को तोड़ने का ‘एकतरफा’ फैसला लिया है।
इस साल की शुरुआत में, कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव से पहले अपने कट्टर दुश्मन, एआईयूडीएफ और उसके सहयोगी बीपीएफ सहित कई दलों के साथ ‘महाजोत’ बनाया था।