आने वाले विधानसभा व अन्य चुनावों के लिए भाजपा नेतृत्व अपने नए केंद्रीय मंत्रियों की देश भर में निकाली गई जन आशीर्वाद यात्राओं का फीडबैक जुटा रहा है। भाजपा के सत्तारूढ़ राज्यों खासकर उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के लिए इसका खासा महत्व है, जहां छह माह बाद चुनाव होने हैं। भाजपा ने हाल में उत्तराखंड में मुख्यमंत्री बदल कर चुनावी तैयारियों को नया रूप दिया है, वहीं उत्तर प्रदेश को लेकर भी केंद्रीय नेतृत्व ने दिल्ली से लेकर लखनऊ तक कई बैठकें कर व्यापक समीक्षा की है।कोरोना की दूसरी लहर व मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के दो साल के बाद हुई भाजपा ने नए केंद्रीय मंत्रियों की जन आशीर्वाद यात्राएं भाजपा की भावी रणनीति का बड़ा हिस्सा हैं। तीन दिन से एक सप्ताह तक की इन यात्राओं में मोदी सरकार में नए बने 39 मंत्री शामिल हुए थे और उन्होंने 212 लोकसभा क्षेत्रों को कवर करते हुए 19 राज्यो में जनता से संवाद किया। सूत्रों के अनुसार, भाजपा नेतृत्व ने इन मंत्रियों से उनकी यात्राओं को व्यापक फीडबैक लिया ही है। साथ ही जिला व राज्य संगठन से भी जानकारी हासिल की जा रही है। जिन बिंदुओं पर जानकारी एकत्रित की जा रही है उनमें यात्राओं में लोगों व कार्यकर्ताओं की हिस्सेदारी, सरकार व पार्टी को लेकर लोगों की प्रतिक्रिया, केंद्र व राज्य सरकारों की योजनाओं की लोगों तक पहुंच व उन पर लोगों की प्रतिक्रिया जैसे बिंदु अहम हैं।
अगले साल की शुरुआत में पांच राज्यों की विधानसभा चुनावों में चार उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मणिपुर व गोवा में भाजपा की सरकारें हैं, जबकि पंजाब कांग्रेस के पास है। भाजपा के लिए सबसे अहम उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड हैं। इन राज्यों को लेकर भाजपा नेतृत्व विभिन्न स्तरों पर तैयारी कर ही रहा है, लेकिन उसकी कोशिश निचले स्तर पर जाकर पार्टी व सरकार को लेकर लोगों के मन की बात जानना है। साथ ही जो काम की बातें जनता तक नहीं पहुंच सकी हैं उनको पहुंचाना है।
इसीलिए पहले ही सभी को साफ कर दिया था कि यात्राओं का मतलब केवल फेरी लगाना भर नहीं है, बल्कि सार्थक संवाद करना है। सूत्रों का कहना है कि जन आशीर्वाद यात्राओं के कार्यक्रमों में लोगों की उपस्थिति, उनकी प्रतिक्रिया को पार्टी काफी महत्वपूर्ण मान रही है। सोशल मीडिया पर भी इनकी चर्चा का अध्ययन किया जा रहा है। कुछ मंत्रियों ने तो यात्राओं के स्वरूप से आगे बढ़कर खुद ही जनता के बीच जाकर संवाद स्थापित किया है।