अफगानिस्तान में भले ही तालिबान ने कब्जा कर लिया हो, मगर एक इलाका ऐसा भी है, जो अब तक उसकी पकड़ से दूर है। अफगानिस्तान का पंजशीर प्रांत अब भी तालिबान की पहुंच से दूर है और घाटी के शेर लगातार तालिबानी लड़ाकों को चुनौती दे रहे हैं। नई हुकूमत की आहट के बीच पंजशीर प्रांत में बीते कुछ दिनों से तालिबान और रेसिस्टेंस फोर्स नॉर्दर्न अलांयस के बीच जंग जारी है। जब भी तालिबान पंजशीर की घाटी में दाखिल होने की कोशिश करती है, उपराष्ट्रपति अमरूल्लाह सालेह और अहमद मसूद की अगुवाई में रेसिस्टेंस फोर्स यानी नॉर्दन अलायंस मुंहतोड़ जवाब देती है। इसी बीच पंजशीर के रेसिस्टेंस फोर्स ने तालिबान के 40 लड़ाकों को मार गिराया है। इतना ही नहीं, पंजशीर के शेरों से तालिबानी ऐसे डरे कि अपने साथियों के शव छोड़कर भी नौ दो ग्यारह हो गए। रेसिस्टेंस फोर्स के प्रवक्ता फहीम दशती ने गुरुवार को दावा किया नॉर्दन अलायंस ने तालिबान के 40 लड़ाकों को मार गिराया और फिर उऩके साथ शवों को छोड़कर भी भाग निकले। हालांकि, रेसिस्टेंस फोर्स ने प्रांत में संघर्ष के दौरान मारे गए 40 तालिबानी आतंकवादियों के शव वापस तालिबान समूह को सौंप दिए।रेसिस्टेंस फोर्स के प्रवक्ता ने कहा दुश्मन ने बार-बार पंजशीर प्रांत के शोतुल जिले में प्रवेश करने की कोशिश की, लेकिन हर बार असफल रहा। घुसपैठ की कोशिश के दौरान ही दोनों ओर से गोलीबारी हुई और खूनी झड़प हुई, जिसमें तालिबान के 40 लड़ाके मारे गए। प्रवक्ता के अनुसार, मध्यस्थता की वजह से मारे गए लोगों के शव तालिबान को सौंपे गए। उन्होंने कहा कि इसके बाद गुरुवार को दोनों पक्षों की ओर से कोई संघर्ष नहीं हुआ।
बता दें कि पंजशीर घाटी में अफगानिस्तान के कार्यवाहक राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह भी मौजूद हैं जिन्होंने तालिबान को अफगानिस्तान से उखाड़ फेंकने की कसम खाई हुई है। इसके साथ ही अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद भी यहीं हैं और उन्होंने कहा है कि मैं अहमद शाह मसूद का बेटा हूं। मेरी डिक्शनरी में सरेंडर जैसा कोई शब्द नहीं है। तो ऐसे में तालिबान के लिए पंजशीर घाटी पर नियंत्रण बेहद मुश्किल होने वाला है।
अभी हाल ही में तालिबानी नेताओं ने विद्रोही गुट के नेता अहमद मसूद के साथ समझौते को लेकर बातचीत की थी। लेकिन इस बातचीत से सुलह का रास्ता नहीं निकल पाया था। जिसके बाद तालिबान ने पंजशीर पर फिर हमला किया है। मध्य अगस्त से ही मशहूर अफगानी कमांडर अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद के नेतृत्व में तालिबान का विद्रोह कर रहे लोग पंजशीर घाटी में एकजुट हो गए थे। इनके साथ अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह भी मौजूद हैं। यह सभी मिलकर यहां तालिबान को चुनौती दे रहे हैं।