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महंगाई, खाली खजाना, भुखमरी… अफगानिस्तान में तालिबान के सामने मुंह बाए खड़ी हैं ये चुनौतियां

अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद प्रशासनिक ताना-बाना ध्वस्त हो गया है। इसके साथ ही मानवीय और आर्थिक संकट के बादल भी मंडरा रहे हैं। भावी सरकार और उसकी नीतियों को लेकर लोग सकते में हैं। वहीं, इन हालात में तालिबान के सामने तमाम व्यवस्थाओं को पटरी पर लाने बड़ी चुनौती है।अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद प्रशासनिक ताना-बाना ध्वस्त हो गया है। इसके साथ ही मानवीय और आर्थिक संकट के बादल भी मंडरा रहे हैं। भावी सरकार और उसकी नीतियों को लेकर लोग सकते में हैं। वहीं, इन हालात में तालिबान के सामने तमाम व्यवस्थाओं को पटरी पर लाने बड़ी चुनौती है।

कई माह से वेतन नहीं मिले: सरकारी मुलाजिमों को कई महीनों से वेतन नहीं मिले हैं। इसके साथ ही मुद्रा का अवमूल्यन हो रहा है। सीमांत इलाके में भी लोग उनकी मुद्रा नहीं ले रहे हैं। पाकिस्तान सीमा पर भी कुछ इस तरह की समस्या देखने को मिल रही है।

रिजर्व जब्त: अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होने के बाद अमेरिका ने रिजर्व फंड को लेकर प्रतिबंध लगाया था। फिलहाल नौ करोड़ डॉलर देश से बाहर है। यह रकम तालिबान की पहुंच से बहुत दूर है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी करोड़ों की संपत्ति जब्त करने का फैसला किया है।

विदेशी सहायता बंद: दुनिया के अन्य देशों से आने वाली सहायता राशि या तो कम या बंद हो गई है। मनी ट्रांसफर जैसी सुविधा भी बंद हो गई है। लोगों को मजबूरी में अपने गहने बेचने पड़ रहे हैं।

महंगाई बढ़ी : देश में तालिबान के कब्जे के बाद महंगाई बढ़ गई। रोजमर्रा की चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं। खाद्य पदार्थों के मूल्यों में 50 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है।

मानवीय संकट : लोगों के सामने आगे कुआं पीछे खाई

भुखमरी की स्थिति : बहुत जल्द देश में भुखमरी की स्थिति आने वाली है, क्योंकि इस महीने के अंत तक देश का खाद्यान्न भंडार भी खाली हो जाएगा। इसके बाद देश के एक तिहाई लोगों के सामने खाने का संकट उत्पन्न हो जाएगा।

देश छोड़ने की जेद्दोजहद : तालिबान का कब्जा होने के बाद लोग किसी भी सूरत में देश छोड़कर भागना चाहते हैं, लेकिन उनके लिए न तो हवाई सुविधा है और न ही वे सीमा पर कर दूसरे देश जा सकते

भय का माहौल : लोग सहमे हुए हैं। उन्हें डर है कि तालिबान कहीं अपने पुराने कानून को न लागू कर दे। 1996 से 2001 तक देश में तालिबान का शासन था, उस समय बहुत ही भयावह स्थिति थी।

आधी आबादी : महिलाएं अलग-थलग पड़ीं

पढ़ाई अलग-अलग : देश में स्कूल खुल चुके हैं, लेकिन लड़के और लड़कियों की पढ़ाई अलग-अलग हो रही है। हालांकि तालिबान ने इसका ऐलान पहले ही कर दिया था।

व्यवहार में बदलाव : महिलाएं सड़कों पर तो निकल रही हैं, लेकिन वे बुर्का की जगह हिजाब पहने नजर आ रही हैं। हालांकि दुकानदारों ने बताया कि पश्चिमी परिधानों (जींस) की बिक्री में इजाफा हुआ है।

महिला घर पर रहें : तालिबान ने पिछले हफ्ते कहा था कि फिलहाल महिलाएं घर पर ही रहें, क्योंकि सुरक्षा बलों को महिला के साथ कैसे व्यवहार किया जाए इसका प्रशिक्षण नहीं दिया गया है।

भले ही तालिबानी नेता देश पर कब्जा करने के बाद खुशमिजाज दिख रहे हों, लेकिन उनके सामने देश चलाने की चुनौती है। अब वह सरकार चलाने की स्थिति में हैं। इसलिए उन्हें प्रशासन को संभालने के प्रशिक्षित पेशेवर की जरूरत पड़ेगी। हवाई अड्डे को पुन: किसी प्रकार संचालित करने की स्थिति में लाया जाए, इस संबंध में तुर्की से बात हो रही है। देश में अचानक खाद्य पदार्थों के मूल्यों में बेतहाशा वृद्धि हो गई है। इस पर अंकुश लगाने की चुनौती है। अमेरिकी सहायता बंद होने के बाद देश को आर्थिक संकट से बाहर निकालने की चुनौती सामने खड़ी है।  देश में गृह युद्ध जैसे हालात बन रहे हैं। इसको रोकने के लिए बेहतर योजना की दरकार है।