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कोरोना के खौफ में कंटेनर क्वारंटाइन, जानें कैसे बढ़ सकती है महंगाई

कोरोना के नए मामलों में वृद्धि को देखते हुए अमेरिका-चीन समेत विभिन्न देशों में दूसरे मुल्कों से माल लेकर पहुंच रहे कंटेनर 15 दिन के लिए क्वारंटाइन किए जा रहे हैं। इससे निर्यातकों को फैक्टरी में तैयार माल को विदेश भेजने के लिए कंटेनर देरी से मिल रहे हैं। इसके अलावा कई देशों से मांग में अप्रत्याशित वृद्धि, जबकि सामान की अनलोडिंग में देरी की खबरें आ रही हैं। इससे बाजार में सामान की आपूर्ति प्रभावित हो रही और उपभोक्ताओं पर महंगाई की मार बढ़ रही है। हालांकि, भारत सरकार ने निर्यातकों को भरोसा दिलाया है कि कंटेनर की समस्या जल्द दूर कर ली जाएगी।

अमेरिका-चीन समेत विभिन्न देशों में कंटेनर क्वारंटाइन होने से लंबे अरसे से कंटेनर संकट झेल रहे मुरादाबाद के निर्यातकों की परेशानी और बढ़ गई है। निर्यातकों को फैक्टरी में तैयार माल विदेश भेजने के लिए कंटेनर अब और देरी से मिल रहे हैं।

विदेशी खरीदारों के जरिये मिली जानकारी के आधार पर निर्यातकों का कहना है कि चीन, अमेरिका समेत कई देशों में 15 दिन तक कंटेनर क्वारंटाइन होने से माल नहीं उतारा जा रहा है। कंटेनर के कई दिन बाद खाली होने से वहां से आयात किया जाने वाला माल देर से पहुंच रहा है। आयात का माल लेकर आने वाले कंटेनरों में ही माल लोड करके विदेश निर्यात किया जाता है।

चीन में दो बंदरगाह बंद, जुर्माने का खतरा बढ़ा
द हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्ट एसोसिएशन के सचिव सतपाल ने बताया कि काफी संख्या में स्टाफ के कोरोना संक्रमित होने की वजह से चीन में दो बंदरगाह बंद कर दिए गए हैं। कंटेनरों की समस्या बढ़ने के कारण विदेशी ग्राहकों की तरफ से जुर्माना लगाए जाने का खतरा बढ़ गया है। गनीमत है कि कई ग्राहक कंटेनर के क्वारंटाइन होने से उत्पन्न परिस्थितियों को ध्यान में रखकर जुर्माना लगाने का कदम उठाने की जल्दी नहीं दिखा रहे हैं।

अनलोडिंग पहले के मुकाबले सुस्त
कारोबारियों का कहना है कि महामारी की वजह से अलग-अलग देशों में मांग में असमान तरीके से वृद्धि हो रही है। साथ ही जहां माल पहुंचता है, वहां उसकी अनलोडिंग पहले के मुकाबले सुस्त हुई है। इन तमाम वजहों से सामान लेकर जाने वाला कंटेनर फंस जाता है। व्यापक एक्सपोर्ट न हो पाने से देश में कारोबारियों के पास फैक्टरियों में विदेशी ऑर्डर का माल तैयार पड़ा हुआ है। कंटेनर न होने से ये निर्यात नहीं हो पा रहा है। साथ ही नया उत्पादन करना भी मुश्किल होता जा रहा है।

भाड़े में 300 से 500 प्रतिशत की वृद्धि
देश में कंटेनर के भाड़े में 300 से 500 प्रतिशत की वृद्धि देखी जा चुकी है। आने वाले दिनों में समाधान नहीं निकला तो यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है। केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष में देश से 400 अरब डॉलर के निर्यात का लक्ष्य रखा है। निर्यात के लिए कंटेनर ही उपलब्ध न हो पाए तो लक्ष्य भी हासिल करना मुश्किल हो जाएगा। सरकारी सूत्रों के मुताबिक भारत में भी बड़े पैमाने पर कंटेनर उत्पादन शुरू करने का इरादा है। अलग-अलग मंत्रालयों की एक एम्पावर्ड कमेटी कंटेनर निर्माण की प्रक्रिया को आसान और सस्ता बनाने के काम में जुटी है। इस दिशा में व्यापक दिशा-निर्देश आने के बाद देश में तेजी से कंटेनरों का निर्माण होगा।

कंटेनर की कमी से बढ़ सकती है महंगाई
भारतीय बाजार में पिछले कुछ समय से जरूरी सामान के दाम में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। जानकार इसे जहां एक तरफ वैश्विक बाजार में कमोडिटी के बढ़ते दाम से जोड़कर देख रहे हैं तो वहीं कुछ विशेषज्ञ इसके पीछे दुनियाभर में शिपिंग कंटेनर की कमी का हवाला दे रहे हैं।

अनलोडिंग पहले के मुकाबले सुस्त
कारोबारियों का कहना है कि महामारी की वजह से अलग-अलग देशों में मांग में असमान तरीके से वृद्धि हो रही है। साथ ही जहां माल पहुंचता है, वहां उसकी अनलोडिंग पहले के मुकाबले सुस्त हुई है। इन तमाम वजहों से सामान लेकर जाने वाला कंटेनर फंस जाता है। व्यापक एक्सपोर्ट न हो पाने से देश में कारोबारियों के पास फैक्टरियों में विदेशी ऑर्डर का माल तैयार पड़ा हुआ है। कंटेनर न होने से ये निर्यात नहीं हो पा रहा है। साथ ही नया उत्पादन करना भी मुश्किल होता जा रहा है।

भाड़े में 300 से 500 प्रतिशत की वृद्धि
देश में कंटेनर के भाड़े में 300 से 500 प्रतिशत की वृद्धि देखी जा चुकी है। आने वाले दिनों में समाधान नहीं निकला तो यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है। केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष में देश से 400 अरब डॉलर के निर्यात का लक्ष्य रखा है। निर्यात के लिए कंटेनर ही उपलब्ध न हो पाए तो लक्ष्य भी हासिल करना मुश्किल हो जाएगा। सरकारी सूत्रों के मुताबिक भारत में भी बड़े पैमाने पर कंटेनर उत्पादन शुरू करने का इरादा है। अलग-अलग मंत्रालयों की एक एम्पावर्ड कमेटी कंटेनर निर्माण की प्रक्रिया को आसान और सस्ता बनाने के काम में जुटी है। इस दिशा में व्यापक दिशा-निर्देश आने के बाद देश में तेजी से कंटेनरों का निर्माण होगा।

कंटेनर की कमी से बढ़ सकती है महंगाई
भारतीय बाजार में पिछले कुछ समय से जरूरी सामान के दाम में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। जानकार इसे जहां एक तरफ वैश्विक बाजार में कमोडिटी के बढ़ते दाम से जोड़कर देख रहे हैं तो वहीं कुछ विशेषज्ञ इसके पीछे दुनियाभर में शिपिंग कंटेनर की कमी का हवाला दे रहे हैं।

भारत में आयात की जाने वाली शीर्ष दस वस्तुएं:

कच्चा तेल (21.6%)
सोना (5.9%)
पेट्रोलियम उत्पाद (5.8%)
कोयला-कोक (4.7%)
मोती, कीमती पत्थर (4.7%)
इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और सामान (3.4%)
दूरसंचार उपकरण (3%)
रसायन (2.5%)
मशीनरी (2.5%)
इलेक्ट्रिक मशीनरी और उपकरण (2.3%)

इन 10 देशों से होता है सबसे अधिक आयात:

चीन (13.7%)
अमेरिका (7.5%)
संयुक्त अरब अमीरात (6.3%)
सऊदी अरब (5.6%)
इराक (5%)
हांगकांग (3.5%)
स्विट्जरलैंड (3.5%)
दक्षिण कोरिया (3.3%)
इंडोनेशिया (3.1%)
सिंगापुर (3.1%)

स्रोत: स्टेटिस्टा

इन सामानों का भी होता है आयात: खाने के तेल, इलेक्ट्रिक मशीनरी, इक्विपमेंट, टेलीफोन इक्विपमेंट, सेमीकंडक्टर, कैमरा, ऑटो पार्ट्स आदि का भी आयात भारत चीन समेत दूसरे देशों से बड़े पैमाने पर करता है।

शिपिंग कंटेनर भाड़ा कई गुना बढ़ा
कंटेनर की उपलब्धता कम होने से भाड़ा तेजी से बढ़ा है। पहले मैक्सिको में शिपिंग कंटेनर का भाड़ा 1350 डॉलर चुकाना होता था, लेकिन अब यह बढ़कर 13000 डॉलर हो गया है। वहीं, मिस्र में पहले 350 डॉलर शिपिंग कंटेनर का भाड़ा देना होता था, लेकिन अब 6000 डॉलर प्रति कंटेनर भुगतान करना होता है। वहीं, स्पेन में पहले 500 डॉलर कंटेनर का भाड़ा देना होता था, लेकिन अब 6000 डॉलर प्रति कंटेनर देना होता है। किराये में वृद्धि के कारण भारत समेत यूरोप और एशियाई देश के आयातक परेशान हैं। शिपिंग कंटेनर की कमी से भाड़ा 8 से 10 गुना बढ़ा है। इंडस्ट्री पूरे मामले में चीन को जिम्मेदार ठहरा रही है।