तालिबान ने शुक्रवार को दावा किया कि उसने पंजशीर पर भी कब्जा कर लिया है। उसने कहा कि पंजशीर रेजिस्टेंस को उसने मात दे दी है। तालिबान सूत्रों के हवाले से समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने कहा कि हमने पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है। जो लोग भी यहां हमारा विरोध कर रहे थे, हमने उन्हें मात दे दी है। अब पंजशीर हमारे नियंत्रण में है। हालांकि रेजिस्टेंस लीडर्स का दावा है कि यहां पर अभी भी लड़ाई जारी है।
तालिबान और रेजिस्टेंस में भीषण लड़ाई
गौरतलब है कि पिछले चार दिन से पंजशीर में तालिबान और रेजिस्टेंस फोर्सेज के बीच जबर्दस्त लड़ाई चल रही है। गुरुवार रात लड़ाई इस कदर भीषण हो गई थी कि अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी को दोनों पक्षों से शांति की अपील करनी पड़ी थी। इस बीच पंजशीर रेजिस्टेंस के नेता अमरुल्लाह सालेह के ताजिकिस्तान भागने की खबरें भी आ रही थीं। हालांकि बाद में अमरुल्लाह ने एक वीडियो में दावा किया कि वह पंजशीर में ही हैं और यहां पर लड़ाई जारी है।
पंजशीर पर कब्जे की खबरों को बताया झूठा
इस बीच पंजशीर नेता अहमद मसूद से ताल्लुक रखने वाले एक टि्वटर हैंडल पर भी दावा किया गया है कि पाकिस्तान मीडिया में पंजशीर पर तालिबान के कब्जे को लेकर चल रही खबर झूठी है। उसने लिखा है कि पंजशीर पर रेजिस्टेंस फोर्सेज का ही कब्जा रहेगा। वहीं कई अन्य रिपोर्टों में ऐसा भी दावा किया गया है कि तालिबान ने पंजशीर पर कब्जा जमाने के लिए अल-कायदा से हाथ मिला लिया है। अल अरबिया चैनल ने इस बारे में खबर प्रसारित की है, जिसमें कहा गया है कि अल-कायदा के मिलिटेंट पंजशीर पर हमला करने के लिए तालिबान ज्वॉइन कर रहे हैं।
1996 से 2001 के बीच भी तालिबान नहीं जीत सका था पंजशीर
वहीं अहमरुल्लाह सालेह ने भी इस बात का दावा किया है कि पंजशीर पर तालिबान, पाकिस्तान और कई अन्य आतंकी संगठनों की नजर है। उन्होंने तालिबान पर पंजशीर के लिए भेजी जाने वाली मदद को रोकने का भी आरोप लगाया। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पंजशीर के मासूम लोगों को तालिबान पहाड़ों पर खदान में काम करने के लिए भेज रहा है। गौरतलब है कि 1996 से 2001 के बीच जब अफगानिस्तान में तालिबान का शासन था, तब भी वह पंजशीर पर कब्जा नहीं कर पाया था। तब लॉयन ऑफ पंजशीर कहे जाने वाले अहमद मसूद ने नॉर्दर्न अलायंस बनाया था, जिसे कई देशों से मदद मिलती थी।