बेसिक शिक्षक भर्ती से हाईकोर्ट के आदेश पर रोक हट गई है, लेकिन अब काउंसलिंग कराना शिक्षा विभाग के लिए बड़ी चुनौती है। दरअसल, जिला स्तर पर चयन-नियुक्ति होने से इस बार एक-एक बेरोजगार ने नौ-नौ जिलों से आवेदन किए हैं। ऐसे में हर अभ्यर्थी को हर जिले की काउंसलिंग में मौका देना तो मुश्किल होगा ही, साथ ही चयन प्रक्रिया भी प्रभावित हो सकती है। सूत्रों के अनुसार, शिक्षा विभाग इस स्थिति से निपटने का रास्ता तलाश रहा है।
सभी जिलों में एक ही दिन काउंसलिंग कराने या देहरादून में एक ही स्थान पर सभी जिलों के काउंटर लगाकर विषयवार काउंसलिंग कराई जा सकती है। बेसिक शिक्षा निदेशक रामकृष्ण उनियाल ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश की प्रति का इंतजार किया जा रहा है। इसके लिए हाईकोर्ट में अर्जी भी लगा दी गई है। इसके बाद काउंसलिंग की प्रक्रिया तय कर दी जाएगी। राज्य में 2014 और 2016 में बेसिक शिक्षकों का चयन स्टेट काउंसलिंग के आधार पर हुआ था। राज्यस्तरीय मेरिट के अनुसार चुनते हुए जिलों में तैनात किया गया।
2018 और 2020 की भर्ती में चयन जिला स्तर पर होना है। मूल जिले की बाध्यता न होने की वजह से बेरोजगारों ने एक साथ कई जिलों से आवेदन किया है। बेहतर अंक वाले डीएलएड और सीनियर बीएड-टीईटी कई जिलों में टॉप रैंकिंग में रह सकते हैं। शिक्षा विभाग की चिंता की वजह यही है। यदि कोई अभ्यर्थी किसी जिले में चुन लिया जाता है तो दूसरे जिलों की लिस्ट में उसकी मौजूदगी बनी रहेगी।
यूं होगा चयन
50 फीसदी पद विज्ञान और 50 फीसदी पद विज्ञान से इतर विषयों के अभ्यर्थियों के लिए होंगे। विज्ञान में 40 फीसदी पद भौतिक और गणित से स्नातक, 40 फीसदी कैमिस्ट्री, बॉटनी, जूलॉजी स्नातक के लिए आरक्षित हैं। बाकी 20 फीसदी पदों पर अन्य विज्ञान विषयों के स्नातक नियुक्त किए जाएंगे। विज्ञान से इतर विषय के 50 फीसदी पदों में 15 प्रतिशत इंग्लिश, 15 प्रतिशत हिंदी स्नातक के लिए होंगे। बाकी 70 फीसदी पद अन्य मानविकी विषयों के स्नातकों से भरे जाएंगे। उर्दू शिक्षक के लिए स्नातक में मुख्य विषय उर्दू होना जरूरी होगा।