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Teachers Day Special: शिक्षकों को वेतन देने के लिए गोरखपुर में खुला था पहला कायस्थ बैंक

अंग्रेजों का विरोध कर शिक्षा के मंदिर की स्थापना और उसे संचालित करना कितना मुश्किल था, इसे एमजी इंटर कॉलेज के संस्थापक राम गरीब लाल के प्रयासों से महसूस किया जा सकता है। शिक्षकों को वेतन देने में कोई बाधा नहीं आए इसे लेकर ही राम गरीब लाल ने गोरखपुर का पहला प्राइवेट कायस्थ बैंक खोला था। एक लाख रुपये की पूंजी जुटाने के लिए 1000 शेयर निकाले गए थे। जब स्कूल खुला था तक इसका नाम ‘गोरखपुर हाईस्कूल’ था।

महात्मा गांधी इंटर कॉलेज का शुरुआती नाम गोरखपुर हाईस्कूल था। इसकी स्थापना 1909 में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और सामाजिक कार्यकर्ता राम गरीब लाल ने की थी। स्कूल कक्षा 3 से 10 वीं तक की पढ़ाई के लिए खोला गया था। स्कूल के संचालन और शिक्षकों को वेतन देने में किसी प्रकार की बाधा नहीं आए इसके लिए राम गरीब लाल ने 1916 के आसपास कायस्थ ट्रेडिंग एंड बैंकिंग कारर्पोरेशन नाम से बैंक खोला। जिसे कायस्थ बैंक के नाम से पहचान मिली। इस बैंक का जिक्र साहित्यकार रवीन्द्र श्रीवास्तव उर्फ जुगानी काका ने अपनी पुस्तक ‘गोरखपुरियत के बहाने’ में किया है।

रवीन्द्र श्रीवास्तव ने बताया कि ‘उन्हें बैंक के शेयर की एक कॉपी इतिहासकार प्रो.हरिशंकर श्रीवास्तव से मिली थी। जिसे पुस्तक में प्रकाशित भी किया गया है। स्कूल को संचालित करने के लिए फंड और शिक्षकों के वेतन को लेकर संकट नहीं आए इसे लेकर कायस्थ बैंक खुला।’ हालांकि अंग्रेजों को यह बैंक रास नहीं आ रहा था। अंग्रेजों के ही हस्तक्षेप के बाद स्थापना के कुछ वर्षों बाद बैंक को बंद करना पड़ा। अंग्रेजों के अधीन बैंक का नाम इम्पीरियल बैंक था, जो बाद में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया हुआ। बैंक रोड पर जहां आज स्टेट बैंक की मुख्य शाखा है, वहीं कायस्थ बैंक की बिल्डिंग हुआ करती थी।

आम लोगों के बच्चे पढ़ सकें, इसलिए खोला स्कूल

वर्ष 1909 में सेंट एंड्रयूज और राजकीय जुबिली इंटर कॉलेज प्रमुख संस्थान थे। सेंट एंड्रयूज पूरी तरह अंग्रेजों के अधीन था और जुबिली में सरकारी कर्मचारियों के बच्चों को ही दाखिला मिलता था। एमजी इंटर कॉलेज के प्रबंधक मंकेश्वर पांडेय बताते हैं कि ‘आम लोगों को शिक्षा मिले इसे देखते हुए संस्थापक राम गरीब लाल ने स्कूल की स्थापना की। तब इसका नाम ‘गोरखपुर हाईस्कूल’ हुआ करता था। 1948 में राष्ट्रपति महात्मा गांधी की हत्या के बाद उनकी तेरहवीं के दिन स्कूल नाम महात्मा गांधी इंटर कॉलेज हुआ। मेरे प्रयास से परिसर में संस्थापक की प्रतिमा स्थापित हुई। आम लोगों में शैक्षणिक क्रान्ति को लेकर उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है।