तालिबान ने सोमवार को ऐलान किया कि अफगानिस्तान के पंजशीर प्रांत पर भी पूरी तरह उसने कब्जा कर लिया है। हालांकि, तालिबान से लगातार लोहा ले रही नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट ऑफ अफगानिस्तान यानी एनआरएफ ने इस दावे को खारिज किया है और कहा है कि घाटी में अभी भी अहम इलाकों पर उसका नियंत्रण है और वे जंग जारी रखेंगे। एनआरएफ ने कहा है कि तालिबान के खिलाफ उनकी जंग तब तक जारी रहेगी जब तक न्याय की जीत नहीं होगी।
यह जानकारी एनआरएफ के ट्विटर हैंडल से दी गई है। हालांकि, यह अकाउंट वेरिफाइड नहीं है। एनआरएफ ने ट्वीट किया, ‘पंजशीर पर कब्जा करने का तालिबान का दावा गलत है। एनआरएफ के जवान पूरी घाटी में अभी भी रणनीतिक महत्व वाले इलाकों में मौजूद हैं। हम अफगानिस्तान के लोगों को भरोसा दिलाते हैं कि तालिबान और उनके सहयोगियों के खिलाफ जंग तब तक जारी रहेगी जब तक न्याय और आजादी की जीत नहीं हो जाती।’ इससे पहले तालिबान ने सोमवार को दावा किया था कि उसने पंजशीर घाटी पर कब्जा कर लिया है।
तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा, ‘देश में पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित करने के हालिया प्रयासों के परिणाम आ गए हैं और पंजशीर प्रांत इस्लामिक अमीरात (तालिबान) के पूर्ण नियंत्रण में आ गया है।’ बता दें कि पंजशीर में एनआरएफ लगातार कमजोर पड़ती दिख रही थी। रविवार को तालिबान के हमले में पंजशीर रेजिस्टेंस फ्रंट के प्रवक्ता फहीम दश्ती के मारे जाने की भी खबर आई थी।
15 अगस्त को काबुल पर कब्जे के बाद अकेला पंजशीर ही अफगानिस्तान का ऐसा प्रांत था जिसपर तालिबान का राज नहीं थी। यहां, अहमद मसूद के नेतृत्व में रेजिस्टेंस फ्रंट लगातार तालिबान से लोहा ले रहा था। अहमद मसूद तालिबान के खिलाफ लड़ने वाले अफगान के पूर्व गुरिल्ला कमांडर अहमद शाह मसूद के बेटे हैं। बीते चार दिनों में तालिबान और मसूद की फौज के बीच खूनी संघर्ष तेजी से बढ़ा है और दोनों ही पक्षों ने जान-माल के भारी नुकसान की बात मानी है।
बता दें कि पंजशीर को नेशनल रेजिस्टेंस फोर्स और पूर्व अफगान उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह का गढ़ माना जाता है। सालेह ने खुद को कार्यकारी राष्ट्रपति घोषित किया था। रविवार को मसूद ने कहा था कि वह जंग को रोककर तालिबान के साथ बातचीत को तैयार हैं। दोनों पक्ष पंजशीर पर कब्जे का दावा करते रहे हैं, हालांकि, अभी तक किसी की ओर से कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया गया है।