मद्रास हाई कोर्ट ने सोमवार को केंद्र और राज्य सरकारों को उस याचिका पर नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब तलब किया जिसमें संबंधित अधिकारियों को सभी दस्तावेजों एवं प्रमाणपत्रों में मां का नाम दर्ज करने के लिए अलग से कॉलम देने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
मुख्य न्यायाधीश संजीव बनर्जी और न्यायमूर्ति पीडी आदिकेसवालु की पीठ के समक्ष तिरुचेंदुर के अधिवक्ता बी रामकुमार आदित्यन द्वारा दायर जनहित याचिका सुनवाई के लिए सोमवार को आई। इसपर अदालत ने केंद्र और राज्य के अधिकारियों को नोटिस जारी किया। पीठ ने इसके साथ ही मामले की अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।
याचिका में अनुरोध किया गया है कि अदालत केंद्रीय गृह मंत्रालय, विधि एवं न्याय मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और तमिलनाडु के मुख्य सचिव को निर्देश दे कि वे सभी मंत्रालयों और विभागों को आवेदनों, प्रमाणपत्र और लाइसेंस में पिता के साथ-साथ मां का नाम भी दर्ज करने के लिए अनिवार्य रूप से कॉलम देने का आदेश दें।
एडवोकेट बी. रामकुमार आदित्यन ने यह जनहित याचिका दायर की थी। उनका कहना है कि एक बच्चे के विकास में मां की भूमिका अहम है लेकिन सरकारी आवेदनों और फॉर्मों में सिर्फ पिता के नाम का कॉलम पितृसत्तातमक सोच को दिखाता है। उनका कहना है कि आज के समय में भी अधिकांश निजी और सरकारी संस्थानों को सिर्फ आवेदकों के पिता का नाम चाहिए, वे मां के नाम की परवाह तक नहीं करते।