तालिबान में अंतरिम सरकार की घोषणा के बाद दुनिया के किसी भी देश ने उसका खुलकर स्वागत नहीं किया है। दुनिया के कई देशों ने भारती की ‘वेट एंड वॉच’ वाली नीति को ही अपनाया है। अमेरिका ने भी कहा कि वह तालिबान की ओर से घोषित नई अफगान सरकार को आंक रहा है। जर्मनी ने तो तालिबान सरकार के गठन के बाद चिंता व्यक्त की है। तालिबान का मददगार चीन ने भी एक समावेशी सरकार की अपील की है।
तालिबान सरकार को उसके कार्यों से आंकेगा अमेरिका
अमेरिकी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि हमने गौर किया है कि नामों की घोषित सूची में विशेष रूप से ऐसे व्यक्ति शामिल हैं जो तालिबान के सदस्य हैं या उनके करीबी सहयोगी हैं और कोई महिला नहीं है। हम कुछ व्यक्तियों की संबद्धता और पूर्व के रिकॉर्ड को लेकर भी चिंतित हैं। हम समझते हैं कि तालिबान सरकार ने इसे एक कार्यवाहक मंत्रिमंडल के तौर पर प्रस्तुत किया है। हालांकि, हम तालिबान को उसके कार्यों से आंकेंगे, उसके शब्दों से नहीं। बयान में कहा गया कि हम अपनी स्पष्ट अपेक्षा को भी दोहराते हैं कि तालिबान यह सुनिश्चित करे कि किसी अन्य देश को धमकी देने के लिए अफगान भूमि का उपयोग नहीं किया जाए।
अफगान में तालिबान शासन का कट्टर चेहरा भारत के लिए कैसे है बड़ी चुनौती
अफगानिस्तान में तालिबान शासन का कट्टरपंथी चेहरा भारत के लिए बड़ी चुनौती है। माना जा रहा है कि हक्कानी की मौजूदगी और मजबूती भारत के लिए सकारात्मक संकेत नहीं हैं। आईएसआई तालिबान शासन पर भारत के खिलाफ खासतौर पर कश्मीर में अपना एजेंडा आगे बढ़ाने के लिए दबाव बना सकता है। बता दें कि तालिबान ने मंगलवार को अपनी सरकार का ऐलान किया और इसमें उन लोगों की संख्या काफी देखी गई, जिन्हें यूएन द्वारा आतंकी लिस्ट में रखा गया है।
व्यवस्था बहाली के लिए एक जरूरी कदम : चीन
बीजिंग। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने बुधवार को कहा कि हम सरकार के गठन पर ध्यान देते हैं। उन्होंने कहा कि इसने तीन सप्ताह से अधिक समय के बाद अफगानिस्तान में अराजकता को समाप्त कर दिया है और यह अफगानिस्तान के लिए घरेलू व्यवस्था बहाल करने और युद्ध के बाद के पुनर्निर्माण को आगे बढ़ाने की दिशा में आवश्यक कदम है। वांग ने हालांकि चीन के इस रुख को दोहराया कि तालिबान को व्यापक आधार और समावेशी राजनीतिक संरचना स्थापित करनी चाहिए।
जापान तालिबान की गतिविधियों की निगरानी कर रहा
जापान तालिबान की गतिविधियों की निगरानी कर रहा है और अफगानिस्तान में नागरिकों की सुरक्षा के लिए अमेरिका और अन्य देशों के साथ सहयोग करना जारी रखेगा। मुख्य कैबिनेट सचिव कात्सुनोबु काटो ने कहा कि तालिबान के साथ व्यावहारिक बातचीत सहित विभिन्न प्रयासों के माध्यम से, हम जापानी नागरिकों और स्थानीय कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
कोई नई उम्मीद नहीं दिख रही: जर्मनी
बर्लिन। जर्मन विदेश मंत्री हाइको मास ने बुधवार को अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के गठन के बाद चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि तालिबान ने ऐसा कोई काम नहीं किया है, जिससे आशावादी रहा जा सके। मास ने कहा कि सरकार की सूची इस्लामी उग्रवादी आंदोलन के नेताओं और हाल ही में गुरिल्ला युद्ध करने वालों से भरी हुई है। उन्होंने कहा कि तालिबान को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अधिक से अधिक लोग वहां से निकल सकें।
तालिबान सरकार निश्चित रूप से समावेशी नहीं है: इसाकजई
तालिबान की ओर से घोषित सरकार निश्चित तौर पर समावेशी नहीं है और अफगान लोग शासन के ऐसे ढांचे को कतई स्वीकार नहीं करेंगे, जिसमें महिलाएं और अल्पसंख्यक शामिल न हों। संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान के राजदूत एवं स्थायी प्रतिनिधि गुलाम इसाकजई ने यह बात कही। उन्होंने कहा कि वैश्विक संगठन से इस्लामी अमीरात की बहाली को अस्वीकार करने का आह्वान किया। अफगानिस्तान के लोग, खासकर युवा जो केवल एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक अफगानिस्तान को जानते हैं, शासन की ऐसी संरचना को स्वीकार नहीं करेंगे जो महिलाओं और अल्पसंख्यकों को बाहर रखती हो, सभी के लिए संवैधानिक अधिकारों को समाप्त करती हो और पूर्व में हासिल उपलब्धियों को संभाल कर नहीं रखती हो।