अफगानिस्तान की सत्ता में 20 साल बाद वापसी करने वाला तालिबान करीब 200 और अमेरिकी और अन्य नागरिकों को जाने की अनुमति देने पर राजी हो गया है। अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि तालिबान अमेरिका के 200 नागरिकों और अन्य लोगों को अफगानिस्तान छोड़ने की अनुमति देगा। बता दें कि 31 अगस्त को अफगानिस्तान छोड़ने की अमेरिका की मियाद पूरी हो गई थी, जिसकी वजह से निकासी अभियान के बाद भी काबुल में कुछ अमेरिकी नागरिक छूट गए थे।
एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि तालिबान के अधिकारियों ने 200 अमेरिकी नागरिकों और अन्य देश के नागरिकों को काबुल हवाई अड्डे से चार्टर फ्लाइटों से अफगान छोड़ने की अनुमति देने पर सहमति व्यक्त की है। नाम न छापने की शर्त पर रॉयटर्स से बात करने वाले अधिकारी ने कहा कि तालिबान पर अमेरिकी विशेष प्रतिनिधि जल्मय खलीलजाद द्वारा नागरिकों की वापसी की अनुमति देने के लिए दबाव डाला गया था।
बताया जा रहा है कि इन नागिरकों के गुरुवार को रवाना होने की उम्मीद है। हालांकि, अधिकारी यह नहीं बता सके कि क्या ये अमेरिकी और तीसरे देश के नागरिक मजार-ए-शरीफ में दिनों से फंसे लोगों में से ही हैं, क्योंकि बीते दिनों तालिबान द्ववारा उन्हें निजी चार्टर से जाने की अनुमति नहीं दी गई थी। बता दें कि बीते काफी दिनों से अमेरिका अपने नागरिकों को संकटग्रस्त देश से निकालने के लिए तालिबान से बातचीत कर रहा है।
तालिबान सरकार को मान्यता देने की हड़बड़ी में नहीं है अमेरिका अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय व्हाइट हाउस ने कहा है कि अमेरिका अफगानिस्तान में नयी अंतरिम सरकार को मान्यता देने की हड़बड़ी में नहीं है और वह अपने नागरिकों को संकटग्रस्त देश से निकालने के लिए तालिबान से बातचीत कर रहा है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा,” इस प्रशासन से कोई नहीं, न तो राष्ट्रपति और न ही राष्ट्रीय सुरक्षा दल से कोई यह मानेगा कि तालिबान वैश्विक समुदाय का सम्मानित एवं महत्त्वपूर्ण सदस्य है। उन्होंने किसी भी तरह से अपनी साख ऐसी नहीं बनाई है और न ही हमने ऐसा कभी कहा है। यह कार्यवाहक मंत्रिमंडल है जिसमें जेल भेजे जा चुके चार तालिबान लड़ाके भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने उसको मान्यता नहीं दी है। साकी ने कहा, कि हमने यह नहीं कहा है कि हम इसे मान्यता देंगे और न ही हमें मान्यता देने की कोई जल्दबाजी है। हम अमेरिकी नागरिकों, वैध स्थायी निवासियों, एसआईवी आवेदकों को अफगानिस्तान से निकालने के लिए उनसे बातचीत कर रहे हैं क्योंकि फिलहाल अफगानिस्तान पर उनका नियंत्रण है। हमें उनसे बातचीत करनी ही होगी।