बदरीनाथ-केदारनाथ सहित चारधाम यात्रा संचालन पर हाईकोर्ट से लगी रोक के खिलाफ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की है। अब इस एसएलपी के कारण हाईकोर्ट में सुनवाई नहीं हो पा रही है। ऐसे में सरकार सुप्रीम कोर्ट से एसएलपी वापस लेने जा रही है। इस दिशा में प्रयास शुरू हो गए हैं। हाईकोर्ट ने कोरोना के कारण चार धाम यात्रा पर रोक लगा दी थी। अब इस रोक को हटाने को लेकर सरकार की ओर से हाईकोर्ट में गुजारिश की जा रही है, लेकिन सरकार स्वयं सुप्रीम कोर्ट में जा रखी है।
वहां एसएलपी दायर की गई है। ऐसे में हाईकोर्ट में भी सुनवाई नहीं हो पा रही है। इस पर न्याय विभाग की राय के बाद सरकार सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी को वापस लेने जा रही है। सचिव धर्मस्व हरि चंद्र सेमवाल ने बताया कि इस दिशा में प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। जल्द सुप्रीम कोर्ट से एसएलपी वापस लेकर हाईकोर्ट में मजबूती से पैरवी की जाएगी। आपको बता दें कि हाईकोर्ट नैनीताल के आदेश के बावजूद पहले सरकार एक जुलाई से चारधाम यात्रा शुरू करने पर अडिग रही थी लेकिन फिर दस घंटें के भीतर ही बैकफुट पर आ गई।
अब सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश के क्रम में चारधाम यात्रा स्थगित कर दी है। कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी। हाईकोर्ट ने तैयारियां पूरी न होने पर सरकार को एक जुलाई से शुरू होने वाली यात्रा रोकने के आदेश दिए थे। इसकी सरकार से लेकर नौकरशाहों को तक लग गई थी, लेकिन कोविड कर्फ्यू की एसओपी में मुख्य सचिव की तरफ से कहा गया था कि चारधाम यात्रा पूर्व की भांति एक जुलाई से शुरू होगी।बैकफुट पर आई सरकार अब 01 जुलाई से स्थानीय निवासियों के लिए चारधाम यात्रा शुरू नहीं की थी। तत्कालीन सीएम तीरथ सिंह रावत की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट बैठक में उत्तरकाशी जिले के लोगों को गंगोत्री और यमुनोत्री, रुद्रप्रयाग जिले के लोगों के लिए केदारनाथ और चमोली जिले के निवासियों के लिए बदरीनाथ धाम में 01 जुलाई से यात्रा शुरू करने की घोषणा की थी। जबकि, प्रदेशभर के श्रद्धालुओं के लिए 11 जुलाई से चारधाम यात्रा शुरू करना प्रस्तावित थी। इससे पहले, हाईकोर्ट नैनीताल ने एक जुलाई से चारधाम यात्रा शुरू करने के राज्य कैबिनेट के फैसले पर रोक लगा दी थी।