एक सालाना अध्ययन में लोगों से पूछा गया कि उनका सबसे बड़ा डर क्या है. क्या आप अंदाजा लगा सकते हैं कि किस चीज से जर्मनी में लोग सबसे ज्यादा डरते हैं?जर्मनी पिछले कई साल से कर्ज मुक्त रहा है. इससे लोगों को एक भरोसा मिला कि वे एक आर्थिक रूप से मजबूत देश में रह रहे हैं. और फिर कोविड नाम की महामारी आई और सूनामी की तरह बहुत कुछ बहाकर ले गई. कोविड महामारी के बाद से जर्मनी बड़े कर्ज के तले आ गया है. मध्य अप्रैल में केंद्रीय संसद ने 284 अरब डॉलर का कर्ज कोविड के दौरान आर्थिक बहाली के लिए मंजूर किया था. यह एक रिकॉर्ड है. इसके चलते जर्मनी का कुल कर्ज 2.2 ट्रिलियन यूरो तक पहुंच गया है जो अब तक का सबसे अधिक है. कर्ज बढ़ने का डर इस कर्ज के बढ़ने के कारण जर्मन लोगों को अब टैक्स बढ़ने का डर सता रहा है. यह जर्मनी में सबसे ज्यादा लोगों का डर है. देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनियों में से एक आर + वी के एक सर्वे में यह बात सामने आई है. सर्वे में लोगों से पूछा गया था कि उनका सबसे बड़ा डर क्या है.राजनीति, अर्थव्यवस्था, पर्यावरण, परिवार और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर यह सर्वे 1992 से हो रहा है. पिछले साल इस सर्वे में लोगों ने कहा था कि वे सबसे ज्यादा अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से डरते हैं. और 2019 में तो शोधकर्ताओं ने कहा था कि जर्मनी में लोगों का डर अब तक का सबसे कम था. आर + वी के शोधकर्ताओं ने 2,400 लोगों से बात की. 25 मई से 4 जुलाई के बीच यह सर्वे 14 वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों और महिलाओं के बीच हुआ. आर+वी के सूचना केंद्र की अगुआ ब्रिगिटे रोम्सटेट बताती हैं, “इस साल लोगों को केंद्रीय, राज्य और स्थानीय स्तर पर बढ़ता जा रहा कर्ज सबसे ज्यादा परेशान किए हुए है.” बीमारी से बड़ी धन की चिंता रोम्सटेट के मुताबिक 53 प्रतिशत जर्मनों को डर है कि सरकार स्थायी तौर पर कर बढ़ा देगी या सेवाएं और सुविधाएं कम करेगी क्योंकि कोरोना वायरस संकट ने कर्ज बढ़ा दिया है. सर्वे में कर का बढ़ना सबसे ऊपर रहा है. इसके उलट, बीमारी का डर, खासकर कोरोना वायरस से संक्रमित हो जाने का डर 14वे नंबर पर है. रोमस्टेट को इस नतीजे से कोई हैरत नहीं होती. वह कहती हैं, “पिछले साल भी सिर्फ एक तिहाई लोगों को संक्रमण का डर था. और तब तो कोई वैक्सीन भी नहीं आई थी.” तस्वीरों मेंः कवर गर्ल अंगेला मैर्केल रोम्स्टेट कहती हैं कि लोग बीमारी के ख्याल को दूर धकेलना पसंद करते हैं लेकिन जब बात धन की हो तो डर हमेशा ज्यादा बड़ा हो जाता है. डरों की सूची में दूसरे और तीसरे नंबर पर भी धन ही है. दर दूसरा जर्मन इस बात से चिंतित है कि जीवन यापन का खर्च बढ़ जाएगा. पिछले साल भी लगभग 51 प्रतिशत लोगों ने इस बात का डर जताया था. तीसरे नंबर की चिंता ये है कि जर्मन लोगों को यूरोप के कर्ज संकट के लिए धन देने को कहा जाएगा. वैसे, आर्थिक मंदी का डर कम हुआ है. अब यह डर सूची में दसवें नंबर पर है. 40 फीसदी लोग ही इससे चिंतित हैं. पिछले साल यह चौथे नंबर पर था और 48 प्रतिशत लोगों को परेशान कर रहा था. इस साल 38 फीसदी लोग चिंतित हैं कि देश में डिजिटलाइजेशन कम हुआ है. डरपोक नहीं हैं जर्मन डिजिटलाइजेशन को लेकर लोगों की चिंता रोम्सटेट को हैरान करती है. वह बताती हैं, “यह सच है कि डिजिटलाइजेशन कम होने का डर 12वें नंबर पर रहा है.यह तब है जब पिछले डेढ़ साल से स्कूल और दफ्तर दोनों का काम घर से चल रहा है, जिससे लोगों को पता चला है कि कमी कहां है.” हाल ही में आई बाढ़ ने जर्मनी में पर्यावरण के प्रति चिंता बढ़ाई है. 69 प्रतिशत लोगों ने कुदरती आपदाओं को लेकर चिंता जताई है जबकि 61 प्रतिशत ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का मानव सभ्यता पर बहुत बुरा असर हो सकता है. डर का यह स्तर औसत से 20 फीसदी अधिक है. देखिएः गोएथे इंस्टीट्यूट के 70 साल 2021 के बाद जो डर एक बार फिर टॉप 10 में आ गया है, वह आप्रवासियों का. हालांकि पिछले एक साल में जर्मनी में आप्रवासियों की संख्या में कोई बहुत ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई है लेकिन 45 फीसदी लोगों को चिंता है कि जर्मनी पर आप्रवासियों को बोझ बढ़ सकता है. यह चौथे नंबर पर है. पिछले साल 43 फीसदी के साथ यह आठवें नंबर पर था. आर+वी के सर्वे के शोधकर्ता कहते हैं कि आमतौर पर जर्मन परेशान नहीं व्यवहारिक हैं. रोम्सटेट कहती हैं, “इतने सालों से मैं इस अध्ययन का प्रबंधन देख रही हूं, एक बात मुझे स्पष्ट हो गई है कि अक्सर जिस ‘जर्मन डर’ की बात की जाती है, वह मूलतः गलत है. जर्मन डरपोक नहीं हैं.” रिपोर्टः राल्फ बोसेन खिए, ये हैं सबसे सुरक्षित देश.