अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने के बाद तालिबान,अब अमेरिका के सबसे बड़े जख्म पर नमक रगड़ने की तैयारी में जुटा है। संयुक्त राष्ट्र की ओर से प्रतिबंधित किए जा चुके 14 आतंकियों वाली कैबिनेट के शपथ ग्रहण के लिए तालिबान ने जो तारीख चुनी है वह अमेरिका को काफी दर्द देने वाला है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि तालिबान की अंतरिम सरकार का शपथ ग्रहण 9/11 की 20वीं बरसी के दिन हो सकता है।
20 साल पहले 2001 में अलकायदा के आतंकवादियों ने अमेरिका पर अब तक का सबसे भयानक हमला किया था। विमानों को हाईजैक करके आतंकवादियों ने वर्ल्ड ट्रेड सेंडर के ट्विन टावर और पेंटागन मुख्यालय से टकरा दिया था। इन हमलों में 3 हजार से अधिक लोग मारे गए थे। इसका बदला लेने के लिए ही अमेरिका ने अफगानिस्तान में सैनिक अभियान की शुरुआत की थी। इस दौरान तालिबान को सत्ता से हटाया गया तो अलकायदा सहित कई आतंकी ठिकानों पर बमबारी की गई।
दो दशक में अरबों डॉलर धन और हजारों सैनिकों की कुर्बानी के बावजूद अमेरिका तालिबान की जड़ें नहीं काट पाया। अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी से पहले ही तालिबान ने काबुल सहित पूरे देश पर कब्जा जमा लिया। अलकायदा और हक्कानी नेटवर्क सहित कई आतंकवादी संगठनों को अफगानिस्तान में एक बार फिर खुला मैदान मिल गया है, जहां से वह अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने की कोशिश कर सकते हैं।
तालिबान ने सरककार गठन से पहले चीन, तुर्की, पाकिस्तान, ईरान, कतर और भारत जैसे पड़ोसी देशों के साथ ही अमेरिका को भी शपथ ग्रहण में शामिल होने का न्योता दिया है। तालिबान ने यह कदम ऐसे समय पर उठाया है जब अधिकतर देशों ने कह दिया है कि वे तालिबान को मान्यता देने में जल्दबाजी नहीं करेंगे। दो बार टालने के बाद तालिबान ने मंगलवार को अंतरिम सरकार के गठन का ऐलान किया।
तालिबान के सुप्रीम लीडर हिबातुल्लाह अखुंदजादा को सर्वोच्च पद दिया गया है तो मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद को पीएम बनाया जाएगा। सरकार में हक्कानी नेताओं को भी अहम पद दिया गया है, जिससे अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता बढ़ गई है। सरकार में शामिल कई लोग अमेरिका के प्रतिबंधित सूची में हैं। तालिबान ने गुरुवार को इस पर आपत्ति जताते हुए इन नेताओं को प्रतिबंध सूची से बाहर करने को कहा है।