महाराष्ट्र के राज्यपाल और पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी के राज्य की सियासत में वापसी की चर्चाएं चल रही हैं। इससे भाजपा के अंदरूनी हलकों में हलचल मच गई है। इस मामले में पार्टी का कोई भी वरिष्ठ नेता खुलकर तो कुछ नहीं बोल रहा। लेकिन कोश्यारी समर्थकों के खिले चेहरे इस बात पर मुहर लगा रहे हैं।उत्तराखंड राजभवन से राज्यपाल बेबी रानी मौर्य की विदाई के बाद से ही मीडिया में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के भी एक बार फिर सक्रिय राजनीति में लौटने की चर्चा है। विदित है कि कोश्यारी राज्य में भाजपा के उन चुनिंदा नेताओं में हैं जिन्होंने संगठन से लेकर सरकार में काम किया है। संगठन पर भी कोश्यारी की खासी पकड़ बताई जाती है।
गढ़वाल, कुमाऊं संतुलन गड़बड़ाने का खतरा : भाजपा ने हाल में मुख्यमंत्री पद से त्रिवेंद्र, तीरथ की विदाई के साथ ही केंद्रीय मंत्री पद से निशंक की भी विदाई की है। जानकारों का कहना है कि राज्य के सत्ता संतुलन में इस समय कुमाऊं का पलड़ा भारी है। अब चर्चा है कि महाराष्ट्र के राज्यपाल और पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी को चुनाव से पहले राज्य से जुड़ी अहम जिम्मेदारी दिए जाने से यह असंतुलन और बढ़ जाएगा। जिसका कुमाऊं में तो अच्छा रिजल्ट दिख सकता है लेकिन गढ़वाल पर क्या असर होगा कुछ कहा नहीं जा सकता।
नवंबर-दिसंबर तक वापसी कर सकते हैं कोश्यारी
हल्द्वानी। कोश्यारी के करीबी नेताओं की मानें तो वह नवंबर अथवा दिसंबर तक उत्तराखंड वापसी कर सकते हैं। कोश्यारी के करीबी एवं भाजपा के पूर्व प्रदेश प्रवक्ता डॉ.अनिल कपूर ‘डब्बू’ का कहना है कि पार्टी हाईकमान उन्हें उत्तराखंड में होने वाले 2022 के चुनावों में बड़ी जिम्मेदारी सौंपता है, तो इससे चुनावों में भाजपा को निश्चित तौर पर बड़ा राजनीतिक लाभ मिलेगा। कोश्यारी के एक अन्य करीबी ने बताया कि वह स्वास्थ्य कारणों के चलते संवैधानिक पद छोड़ना चाहते हैं और राजनीति में वापसी की योजना नहीं है।