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भाजपा की पहली सूची में भारी पड़े बाहरी, कार्यकर्ताओ में असंतोष

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उत्तर प्रदेश की 149 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है। यूपी में पहले दो फेज़ में जहां चुनाव होना है उनके लिये उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया गया है। बीजेपी नेता जेपी नड्डा ने उम्मीदवारों के नाम का एलान किया है।

इससे पहले पार्टी के बड़े नेताओं की प्रत्याशियों को चुनने के लिए लंबी बैठक चली। यूपी चुनावों के उम्मीदवारों को लेकर आज बीजेपी के राष्ट्रीय अमित शाह के आवास पर दिनभर बैठकों का दौर चला था। उत्तर प्रदेश के प्रमुख नेताओं के साथ दोपहर 12 बजे बैठक शुरू हुई थी। इसमें केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, कलराज मिश्र, ओम माथुर, सुनील बंसल, केशव प्रसाद मौर्य मौजूद रहे। शाम 4 बजे तक चली इस बैठक में सभी सातों चरणों की प्रमुख सीटों पर चर्चा की गई।

भाजपा प्रत्याशियों की पहली सूची में ही बाहरी नेता, विधायक और सपा टिकट ठुकराने वाले टिकट पा गए हैं। पुराने योद्धा, पूर्व सांसद और कल्याण समथर्कों को खासी तरजीह मिली है। भाजपा टिकट के दावेदार रहे शाहजहांपुर के ददरौल से राकेश कुमार दुबे टिकट न मिलने से खफा हैं और विरोध में 18 जनवरी को आत्मदाह करने की घोषणा की है। राकेश ने कहा कि ददरौल सीट से मानवेंद्र को प्रत्याशी बनाया है जिनका भाजपा को छोड़कर अन्य सभी दलों से पूर्व में नाता रहा है। 24 घंटे में ददरौल सीट से घोषित प्रत्याशी नहीं हटाया गया तो वह प्रदेश कार्यालय के समक्ष आत्मदाह करेंगे।

पहली सूची से ही बीजेपी कार्यकर्ताओं में मायूसी 

भाजपा की पहली सूची बुनियादी कार्यकर्ताओं के उत्साह पर भारी पड़ी है। इस सूची में नए दावेदारों को टिकट पाने में कामयाबी मिली है। 2012 के चुनाव में कई पुराने उम्मीदवारों को मौका मिला है। बनारस और लखनऊ के भाजपा विधायक पहली सूची में स्थान पाने से वंचित रह गए हैं। मेरठ के विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल और नोएडा की विमला बाथम का नाम भी पहली सूची में नहीं आया है। मेरठ दक्षिण के विधायक रवीन्द्र भड़ाना का टिकट काटकर युवा नेता सौमेन्द्र तोमर को दिया गया है। दंगे के आरोपी विधायक सुरेश राणा थाना भवन और संगीत सोम सरधना से अपना टिकट बचाने में कामयाब रहे।

बाहरियो पर दाव 

भाजपा ने दो दर्जन से ज्यादा दूसरे दलों के नेताओं और विधायकों पर दांव लगाया है। बेहट में बसपा से आए विधायक महावीर राणा, नकुड़ में धर्म सिंह सैनी, नहटौर सु. में ओम कुमार, तिलहर से रोशन लाल वर्मा, धौरहरा में बाला प्रसाद अवस्थी, पलिया में रोमी साहनी, गंगोह में कांग्रेस से आए विधायक प्रदीप चौधरी, बरौली में रालोद से आए दलवीर सिंह और बलदेव सुरक्षित के विधायक पूरन प्रकाश जैसे विधायकों को दल बदलने का इनाम मिल गया है। वहीं बसपा से आईं पूर्व मंत्री ओमवती देवी, किठौर में रालोद से आए सत्यवीर त्यागी, बागपत में योगेश धामा, मुरादनगर सपा से आए पूर्व मंत्री राजपाल त्यागी के पुत्र अजीतपाल त्यागी, धौलाना में कांग्रेस से आए रमेश तोमर और गोला गोकर्णनाथ में पूर्व विधायक अरविन्द गिरी, शिकारपुर में बसपा से आए अनिल शर्मा, छाता में बसपा से आए पूर्व मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण और शिकोहाबाद में डॉ. मुकेश वर्मा को टिकट दिया है। अमापुर से 2012 में बसपा से जीते ममतेश शाक्य को भाजपा ने पटियाली से मौका दिया है।

सपा  छोड़ने का तोहफा 

सपा का टिकट लौटाने वाली हेमलता दिवाकर को आगरा ग्रामीण और पूर्व मंत्री महेन्द्र अरिदमन सिंह की पत्नी पक्षालिका सिंह को बाह से भाजपा ने टिकट देकर उन्हें पुरस्कृत किया है। पक्षालिका को खैरागढ़ में सपा ने उम्मीदवार घोषित किया था। यह अलग बात है कि महेन्द्र अरिदमन को टिकट नहीं मिला। बाहर से आये विधायकों में आगरा के फतेहाबाद में छोटेलाल वर्मा की जगह जितेन्द्र वर्मा को मैदान में उतारा है। जितेन्द्र वर्मा भी सपा से होकर भाजपा में आए हैं।

पुराने योद्धाओं पर भरोसा

ऐसा भी नहीं है कि भाजपा ने सिर्फ दूसरे दलों से आए लोगों को ही तरजीह दी है। पार्टी के पुराने योद्धाओं को भी मौका दिया गया है। दूसरे स्थान पर रहे नजीबाबाद के राजीव कुमार अग्रवाल, मुरादाबाद नगर के रीतेश गुप्ता, कुंदरकी में रामवीर सिंह, चंदासी में गुलाब देवी, स्वार में लक्ष्मी सैनी, गाजियाबाद में अतुल गर्ग, बदायूं में महेश गुप्ता, बहेड़ी में छत्रपाल गंगवार, मीरगंज में डा. डीसी वर्मा, फरीदपुर में श्याम बिहारी, पूरनपुर में बाबूराम पासवान, भोजीपुर में तीसरे पर रहे बहोरन लाल मौर्य और बुढ़ाना में पिछली बार चौथे स्थान पर रहे उमेश मलिक और श्रीनगर में मंजू त्यागी जैसे पार्टी नेताओं को दोबारा मौका मिला है।

स्वामी प्रसाद मौर्य को नही मिला तरजीह

बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए पूर्व नेता प्रतिपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य को पहली ही सूची में झटका लगा है। वह अपने कई चहेतों के लिए इन क्षेत्रों में दावेदारी कर रहे थे। चहेतों की बात तो दूर पिछली बार अलीगंज से बसपा के टिकट पर लड़ी उनकी पुत्री डॉ. संघमित्रा को भी मौका नहीं मिला है।

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