विश्वकर्मा पूजा पर 30 साल बाद विशेष संयोग बन रहा है। शनि स्वगृही होकर गुरु से युति बना रहा है जो विशेष याेग का कारक है। इसके साथ ही चंद्रमा से गुरु की युति में गजकेसरी योग का निर्माण हो रहा है। शनि लोहा और कल पुर्जों के कारक हैं और भगवान विश्वकर्मा की पूजा भी मशीनरी और कल पुर्जों की पूजा होती है। ज्योतिष विद्वान विश्वकर्मा पूजा पर बन रहे ग्रहों के संयोग को काफी खास बता रहे हैं। मान्यता है कि ऐसे संयाेग में की गई उपासना शुभ फलदायक होती है। पटना में वियश्वकर्मा पूजा को लेकर काफी उत्साह भी दिख रहा है।
ऐसे बन रहा 30 साल बाद संयोग
ज्योतिष विद्वान पंडित सतीश मणि त्रिपाठी के मुताबिक कोई भी तिथि चंद्रमा से खास बनती है। इस बार 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा के दिन चंद्रमा की गुरु से युति गजकेसरी योग बना रहा है। इस योग में भगवान विश्वकर्मा की उपासना लोगों के लिए काफी सुखद होगी। इसके साथ ही एक और बड़ा संयोग शनि के स्वगृही होने से बन रहा है। शनि मकर राशि में स्वगृही होकर गुरु से युति बना रहे हैं। यह संयोग भी 30 साल बाद बना है। गुरु और शनि दोनो बड़े ग्रह हैं और दोनो का एक साथ आना विशेष फल देने वाला है। गुरु जहां ज्ञान के कारक हैं वहीं शनि को न्याय का देव माना जाता है। शनि लोहे के वस्तुओं के कारक हैं और विश्वकर्मा पूजा पर लोहे और कल कारखानों के साथ मशीनरी सामानों की पूजा होती है। इस कारण से शनि का विश्वकर्मा पूजा पर बन रहा गुरु के साथ संयोग शुभ माना जा रहा है।
उपासना का विशेष योग
पंडित सतीश त्रिपाठी के मुताबिक चंद्रमा से तिथि की महत्ता और बढ़ रही है। शुभ काम के लिए चंद्रमा की शुभता देखी जाती है। विश्वकर्मा पूजा पर चंद्रमा न सिर्फ गुरु के साथ युति में गजकेसरी योग बना रहे हैं बल्कि श्रवण नक्षत्र में गोचर भी कर रहे हैं, जो अत्यंत दुर्लभ नक्षत्र है। यह योग पवित्र पूजा को अत्यंत दुर्लभ बना रहा है। ऐसे संयोग पर पूजा अर्चना पूरी तरह से सफल होती है। हर राशि वालों के लिए यह संयोग काफी उत्तम है। विश्वकर्मा पूजा पर बन रहे योग में पूजा करने से लोगों की कामना पूरी होगी, कल कारखानों से सफलता मिलेगी, कार्यों में आ रही बाधा समाप्त होगी। कल कारखानों और मशीनरी चीजाें में संचालन में बाधाएं दूर होंगी। इस लिए देवताओं के शिल्पी, निर्माण और सृजन के देवता कहे जाने वाले भगवान विश्वकर्मा की पूजा इस बार बेहद खास हुई है।
विश्वकर्मा पूजा पर उपासना
पंडित डॉ श्रीपति त्रिपाठी बताते हैं कि विश्वकर्मा पूजा शुक्रवार सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाया जाएगा। यह योग सुबह 6 बजकर 07 मिनट से लेकर अगले दिन शनिवार को प्रात: 3 बजकर 36 मिनट तक बना रहेगा। 17 सितंबर को रात 1 बजकर 29 मिनट पर सूर्य की कन्या संक्रांति का क्षण है। इस दिन राहुकाल सुबह 10 बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 15 मिनट तक है। राहुकाल को छोड़कर आप विश्वकर्मा पूजा करें। हालांकि सर्वार्थ सिद्धि योग प्रात: 06 बजकर 07 मिनट से प्रारंभ हो रहा है, तो आप इस समय से पूजा कर सकते हैं।
विश्वकर्मा पूजा पर बाजार में दिखी रौनक
विश्वकर्मा पूजा को लेकर बाजार में काफी रौनक है। पटना के बोरिंग रोड,बेली रोड, अशोक राजपथ के पास अस्थायी दुकानें लगी है। कुर्जी चौक पर कलाकार मनोज कुमार ने बताया कि 2020 में प्रतिमा का निर्माण नहीं हो पाया था। इस वर्ष प्रतिमा की डिमांड बढ़ी है। 2500 से 4000 हजार से उपर तक की प्रतिमा की मांग है। शहर के प्रमुख प्रतिष्ठानों की ओर से एक सप्ताह पहले ही लड्डू के ऑर्डर मिठाई दुकानदारों को दे दिए गए है। इस बार पैकिंग लड्डू की मांग अधिक है। प्रमुख प्रतिष्ठान पूजा के बाद प्रसाद के रुप में पैकिंग लड्डू ही प्रसाद के रुप में दे रहे है। कैट के अध्यक्ष अशोक कुमार वर्मा ने बताया कि इस बार शहर में विश्वकर्मा पूजा पर करीब ढ़ाई करोड़ के मिठाई बिक्री का अनुमान है।
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