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अतुल राय दुष्कर्म प्रकरण: निलंबित सीओ की एक रिपोर्ट ने पीड़िता का तोड़ा हौसला, अंतिम सांस तक वाराणसी पुलिस को मानती रही दोषी

दिसंबर 2020 में निलंबित भेलूपुर के तत्कालीन सीओ अमरेश सिंह बघेल की गिरफ्तारी एसआईटी जांच रिपोर्ट सौंपे जाने के समय ही तय हो गई थी। एसआईटी ने तफ्तीश में पाया था कि भेलूपुर क्षेत्राधिकारी रहते हुए अमरेश सिंह बघेल ने बसपा सांसद के प्रभाव में आकर दुष्कर्म पीड़िता के खिलाफ न केवल मिथ्या रिपोर्ट लगाई बल्कि प्रयागराज के एमपी-एमएलए कोर्ट में सांसद अतुल के पक्ष में दुष्कर्म पीड़िता के खिलाफ गवाही भी दी थी। दुष्कर्म पीड़िता अंतिम सांस तक वाराणसी पुलिस के साथ ही सीओ अमरेश सिंह बघेल पर आरोप लगाती रही थी।

अपने खिलाफ मुकदमे दर्ज होने और पुलिस द्वारा घेरे जाने से क्षुब्ध होकर ही दुष्कर्म पीड़िता व उसके गवाह साथी ने 16 अगस्त को नई दिल्ली स्थित सुप्रीम कोर्ट के बाहर आत्मदाह किया था। इसी आधार पर एसआईटी ने जांच की और पुलिस आयुक्त के गोपनीय पत्र पर डीसीपी काशी ने आख्या लगाई और लंका थाने में अमरेश सिंह बघेल पर आत्महत्या के लिए उकसाने सहित लोकसेवक पद की गरिमा धूमिल करने सहित अन्य आरोपों में मुकदमा दर्ज हुआ। 

देवरिया के रहने वाले अमरेश सिंह बघेल ने भेलूपुर थाने में सीओ रहते हुए दुष्कर्म के आरोपी अतुल राय को क्लीन चिट दे थी  और मुकदमे में फिर से विवेचना की संस्तुति की थी। इसके बाद पुलिस महकमे में इस पर काफी हो हल्ला मचा तो शासन ने अमरेश सिंह बघेल को निलंबित करते हुए प्रयागराज के आईजी रेंज को जांच सौंपी थी।
मई 2019 में अतुल राय के खिलाफ मुकदमा हुआ था दर्ज

निलंबित सीओ अमरेश सिंह बघेल

सांसद के पिता भरत सिंह के शिकायती पत्र पर जांच करते हुए अपनी रिपोर्ट में सीओ अमरेश ने दुष्कर्म पीड़िता और उसके गवाह साथी को मऊ सदर विधायक माफिया मुख्तार अंसारी के गुर्गे अंगद राय के इशारे पर अतुल राय को फंसाने की बात कही थी। सोनभद्र जेल में बंद अंगद राय के मोबाइल कॉल डिटेल को भी सार्वजनिक किया था।

यहां बता दें कि बलिया की रहने वाली युवती और यूपी कालेज की पूर्व छात्रा ने मई 2019 में अतुल राय के खिलाफ लंका थाने में दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया था। इसके बाद 22 जून 2019 को पुलिस को चकमा देते हुए अतुल राय ने कोर्ट में आत्मसमर्पण किया था। मौजूदा समय में अतुल राय प्रयागराज के नैनी सेंट्रल जेल में बंद हैं। 
कमिश्नरेट लागू होने के बाद भी किसी ने नहीं की निगरानी
कमिश्नरेट बनने के बाद आईपीएस अधिकारियों की फौज शहर में उतर गई, बावजूद इस मामले में किसी अधिकारी ने तल्लीनता से संज्ञान नहीं लिया। क्या रिपोर्ट लग रही, किसकी जांच कौन कर रहा, दुष्कर्म पीड़िता और अतुल राय मामले की निगरानी में हद दर्जे की लापरवाही बरती गई। दु

ष्कर्म पीड़िता यह आरोप लगाती रही कि कमिश्नरेट बनने के बाद पुलिस उच्चाधिकारियों ने फोन नंबर तक ब्लाक कर दिया था। पीड़िता के आत्मदाह करने से पहले तक कमिश्नरेट पुलिस के अधिकारी उनको सुनने को भी तैयार नहीं थे।

एसपी सिटी को सौंपी थी 11 पन्ने की रिपोर्ट
अतुल राय प्रकरण मेें वाराणसी में तैनात एसपी सिटी विकास चंद्र त्रिपाठी की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है, जिन्हें निलंबित कर दिया गया। दरअसल, सांसद अतुल राय के पिता भरत सिंह ने शिकायती पत्र एसपी सिटी विकास चंद्र त्रिपाठी को सौंपा था, जिसे एसपी सिटी ने तत्कालीन सीओ भेलूपुर अमरेश सिंह बघेल को जांच के लिए आगे बढ़ाया था।

जांच पूरी करने के बाद आठ अगस्त 2020 को अमरेश सिंह बघेल ने ग्यारह पन्ने की जांच रिपोर्ट की फाइल एसपी सिटी को सौंपी थी। इस मामले की फाइल विकास चंद्र त्रिपाठी ने अपने पास रखी, हालांकि बाद में दुष्कर्म पीड़िता ने उच्चाधिकारियों से गुहार लगाई तो अमरेश सिंह बघेल दिसंबर 2020 में निलंबित कर दिए गए।
न्यायिक रिमांड बनाए जाने का अधिवक्ता ने किया विरोध
अदालत में आरोपी सीओ अमरेश सिंह बघेल का न्यायिक रिमांड बनाए जाने का अधिवक्ता मनोज यादव ने विरोध किया। कहा कि एक ही अपराध में पहले दिल्ली फिर हजरतगंज अब बनारस में मुकदमा दर्ज किया जाना विधि विरुद्ध है। आरोपी निर्दोष है। इस प्रकरण की जांच एसआईटी पहले से ही कर रही है। उधर, एपीओ अनुराग त्रिपाठी की दलील थी कि आरोपी के खिलाफ रिमांड बनाने का पर्याप्त आधार है।

अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायिक रिमांड बनाकर बघेल को जेल भेजा। वहीं कचहरी में अधिवक्ताओं और अन्य मीडिया कर्मियों को अमरेश बघेल के पास जाने से रोका गया। इसके लेकर अधिवक्ताओं ने काफी हो हल्ला भी मचाया।

अंतत: पेशी के बाद तगड़ी सुरक्षा के दौरान वाहन से बघेल को जिला जेल भेज दिया गया। पुलिस आयुक्त ए सतीश गणेश के गोपनीय पत्र और पुलिस उपायुक्त मुख्यालय की जांच आख्या के बाद लंका थाना प्रभारी निरीक्षक महेश पांडेय ने बघेल के खिलाफ बुधवार रात मुकदमा दर्ज किया था। 

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