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यूपी: मुख्यमंत्री योगी की पुलिस को नसीहत, अगर गलत काम करोगे तो जनता आपको खलनायक बना देगी

संवादहीनता की वजह से कई बार समस्याएं खड़ी होती हैं और पुलिस की एक छोटी सी चूक आपको जनता की नजरों में नायक से खलनायक बना देती हैं। घटना होने के बाद अफसर कार्रवाई के लिए एक दूसरे की तरफ देखते हैं। बात बिगड़ जाती है तो मामले पर पर्दा डालने की कोशिश होती है। यह ठीक नहीं है। इसमें बदलाव लाना होगा। यह बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिस मुख्यालय में पुलिस अधिकारियों के अलंकरण समारोह में कही।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई भी पीड़ित सबसे पहले पुलिस के पास आता है। पुलिस का रिस्पांस साकारात्मक रहता है तो उसकी पीड़ा कम हो जाती है और रिस्पांस नाकारात्मक रहता है तो उसकी पीड़ा कई गुना बढ़ जाती है। यहीं से पुलिस और फिर शासन के खिलाफ मीडिया ट्रायल शुरू हो जाता है जो कई-कई दिनों तक चलता है। फिर सबको अपना मुंह छिपाना पड़ता है। कोई भी सही जवाब देने की स्थिति में नहीं होता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बीते साढ़े चार सालों में यूपी की छवि देश भर में बदली है। यहां निवेश आ रहा है। प्रदेश में कानून का राज स्थापित हुआ है। लेकिन संवादहीनता की वजह से हुई थोड़ी सी चूक हमको खलनायक के रूप में पेश कर देती है।

मेरिट के आधार पर हो निस्तारण तो न खड़ी हो कोई समस्या
मुख्यमंत्री ने कहा कि छोटी-छोटी घटनाएं होती हैं। अगर किसी एक स्तर पर गलती हुई है और उससे एक श्रेणी ऊपर का अधिकारी वहां जाकर बेहतर संवाद बनाकर समस्या का निस्तारण मेरिट के आधार पर हो जाए तो किसी को शिकायत का मौका नहीं मिलेगा। लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मीडिया को सही समय पर सही जानकारी नहीं दे पाते हैं। सोशल मीडिया पर हर घटना को लोग अपने तरीके से पेश करते हैं। पुलिस के पक्ष को सही और तथ्यात्मक तरीके से कम शब्दों में मीडिया को दे दें तो स्थिति बिगड़ने से बच जाती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हमें जनता का विश्वास बनाए रखने की सबसे बड़ी जरूरत है।

पुलिस के कृत्य के कारण होता है मीडिया ट्रायल 
मीडिया ट्रायल जहां भी होता है वह पुलिस के किसी कृत्य के कारण होता है उसके पीछे सर्किल स्तर पर एडीशनल एसपी के स्तर या फिर जनपद स्तर की लापरवाही होती है। हर स्तर पर सुपरविजन हो और सही से मौका मुआयना हो मीडिया और सोशल मीडिया पर सही जानकारी अपडेट कर दी जाए तो मीडिया ट्रायल नहीं हो पाएगा। लेकिन जब आप मौन रहते हैं, एक दूसरे का चेहरा देखते हैं, मीडिया में सही बात कहने में संकोच करते हैं तो सारी उपलब्धियों के बावजूद उस नाकरात्मकता के कारण खलनायक बनने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

पहले सिर्फ एक थाना था अब 18 साइबर थाने
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले प्रदेश में केवल एक साइबर थाना था। पिछले साढ़े चार साल में रेंज स्तर पर कुल 18 थाने स्थापित किए गए। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर होने वाली एक-एक गतिविधि पर नजर रखनी पड़ेगी। जो घटना आज सोशल मीडिया पर चल रहा है वही तीसरे-चौथे दिन मीडिया ट्रायल बन जाती है। आप समय पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देते हैं तो मीडिया के लोग उसे अपने तरीके से प्रस्तुत करने लगते हैं। 
मामला बिगड़ने पर अधिकारी उतावले नजर आते 
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब मामला बिगड़ता है तो अधिकारी अपने-अपने तरीके से बचाव के लिए उतावले दिखाई देते हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारी हम यहां बचाव के लिए नहीं आए हैं, बल्कि प्रदेश में सुरक्षा का भाव पैदा करने के लिए आए हैं।

मिशन शक्ति से मिल रही महिलाओं को शक्ति
मुख्यमंत्री ने कहा कि शुरू में महिला अपराध को रोकने के लिए एंटी रोमियो स्क्वायड द्वारा अभियान चलाया गया था। इसकी साकारात्मक और नाकारात्मक दोनों बातें सामने आईं। कहीं सराहना हुई और जहां थोड़ी भी अति होती थी उसे नाकारात्मक भाव से भी लिया जाता था। इस पर विचार करने के बाद 2020 में मिशन शक्ति का कार्यक्रम शुरू हुआ। 30 हजार महिला सिपाही का सही इस्तेमाल हुआ और थानों पर महिला डेस्क की स्थापना की गई। महिलाओं से जुड़े सभी कार्यक्रमों को मिशन शक्ति से जोड़ा गया। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि शासन की योजनाएं लोगों तक ठीक से नहीं पहुंच पाती हैं। जिन लोगों के लिए योजना बनाई जाती है उन्हीं को इस योजना की जानकारी नहीं होती है।

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