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यूपी चुनाव 2022: ममता बनर्जी के रास्ते पर प्रियंका गांधी, कांग्रेस में साफ दिख रही है छवि बदलने की छटपटाहट

भाजपा से मुकाबले के लिए कांग्रेस में छवि बदलने की छटपटाहट साफ दिख रही है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने जिस तरह चुनाव प्रचार के दौरान चंडी पाठ से बहुसंख्यकों में अपनी स्वीकार्यता बढ़ाई है, कुछ उसी तर्ज पर वाराणसी की रैली में प्रियंका गांधी ने नवरात्र के दौरान दुर्गा स्तुति कर लोगों को रिझाने की कोशिश की।

यह महज संयोग नहीं है कि इसी दौरान पार्टी के दूसरे महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कश्मीरी पंडितों और सिखों के समर्थन में आवाज बुलंद कर यही संदेश दिया है। यह सब यूपी चुनाव से पहले कांग्रेस की बदली रणनीति और उदार हिंदुत्व की ओर बढ़ने के संकेत हैं।

राजनीतिक मामलों के जानकार बताते हैं कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 1971 में बांग्लादेश की आजादी में भूमिका उग्र राष्ट्रवाद का स्पष्ट संदेश था। बैंकों के राष्ट्रीयकरण के कदम ने उनके प्रति इस भावना को और प्रबल किया। वह नियमित रूप से मंदिरों में जाकर हिंदू प्रतीकों को लेकर भी कांग्रेस पर हमले की गुंजाइश को काफी कम कर देती थीं। लेकिन, 80 के दशक में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी जिस तरह से शाहबानो प्रकरण पर कानून लाए, उससे संघ परिवार को जन-जन तक यह बात पहुंचाने में काफी हद तक कामयाबी मिली कि कांग्रेस का एजेंडा मुस्लिम तुष्टीकरण है। ताकि, वह सत्ता में बनी रह सके।
भाजपा से मुकाबले के लिए बदली रणनीति
देश-प्रदेश में भाजपा के ऐतिहासिक उभार ने कांग्रेस को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने के लिए बाध्य किया है। यही वजह है कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने यूपी चुनाव अभियान की वाराणसी में हुई पहली रैली में अपने संबोधन की शुरुआत दुर्गा स्तुति से की। ‘जय माता दी’ का जयकारा लगवाया। वह यह बताना भी नहीं भूलीं कि आज उनका नवरात्र का चौथा व्रत है।
पिछले माह सितंबर में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी जम्मू में माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए गए थे।

मुसलमानों के बिदकने का खतरा
बीएचयू के राजनीति विज्ञान के प्रो. कौशल किशोर मिश्रा का कहना है कि यूपी में हिंदू प्रतीक चुनावी हथियार बन चुके हैं। पहले कांग्रेस की रैलियों में धार्मिक प्रतीकों से परहेज किया जाता था, ताकि धर्म निरपेक्ष छवि को बनाए रखा जा सके। मेरी समझ कहती है कि इस तरह से हिंदू प्रतीकों का इस्तेमाल मुसलमानों को कांग्रेस से दूर कर देगा। इस रणनीति से कांग्रेस को ज्यादा फायदा होने पर संदेह है।
चुनावी रणनीति का हिस्सा है दुर्गा स्तुति का पाठ
वरिष्ठ समाजशास्त्री एवं सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. आनंद कुमार का कहना है कि शाहबानो प्रकरण को जिस तरह से तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने हैंडिल किया, उससे कांग्रेस पर ये आरोप लगते रहे हैं कि वह हिंदू अस्मिता और हिंदू हितों से ज्यादा मुस्लिम अस्मिता और मुस्लिम हितों को तरजीह देती है। सोनिया गांधी के समय में ये आरोप और प्रबल हुए। हालांकि, इंदिरा गांधी समय-समय पर मंदिरों में जाती रहती थीं। इसलिए उन पर मुस्लिम तुष्टीकरण के आरोप उतनी तीव्रता के साथ नहीं लगे। उत्तर भारत में जातीय और धार्मिक अस्मिता की भावना पिछले कई चुनावों में बलवती रही है। प्रियंका का चुनावी रैली में दुर्गा स्तुति इसी रणनीति का हिस्सा है। पार्टी की छवि बदलने का प्रयास है। हालांकि, मेरा मानना है कि इस बार सुविधाएं, रोजगार, पढ़ाई और महंगाई के मुद्दे अहम होंगे।

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