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यूपी विधानसभा उपाध्यक्ष का चुनाव: सपा कर सकती है नितिन अग्रवाल का विरोध, प्रक्रिया पर सचिवालय में हुई बैठक

यूपी विधानसभा उपाध्यक्ष चुनाव में समाजवादी पार्टी, भाजपा समर्थित नितिन अग्रवाल का विरोध कर सकती है। हालांकि इसका निर्णय सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव करेंगे। इस बीच 18 अक्तूबर को उपाध्यक्ष का चुनाव कराने की विधानसभा सचिवालय ने तैयारी शुरू कर दी है। उधर, भाजपा ने पार्टी के सभी विधायकों को सोमवार को लखनऊ बुलाया है।

हरदोई से सपा विधायक नितिन अग्रवाल के पिता नरेश अग्रवाल भाजपा में शामिल हो चुके हैं। 2018 में हुए राज्यसभा चुनाव में नितिन ने भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में वोटिंग की थी। आगामी विधानसभा चुनाव में भी नितिन के भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने की प्रबल संभावना है। चर्चा है कि नितिन के खिलाफ सपा की ओर से दाखिल दलबदल याचिका को जिस तरह खारिज किया गया और फिर विधानसभा उपाध्यक्ष बनाने का दांव चला गया है, सपा इसे चिढ़ाने वाले कदम के तौर पर देख रही है।

ऐसे में सपा अपना उम्मीदवार उतार सकती है। हालांकि विधानसभा में दो तिहाई बहुमत होने से सत्ताधारी दल अपना उपाध्यक्ष जिताने को लेकर निश्चिंत हैं।

नाकामी छिपा रही है भाजपा
सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी का कहना है कि चुनाव नजदीक होने पर भाजपा अपनी नाकामी छिपाने के लिए लोगों का ध्यान बंटाने में लगी है। अब विधानसभा उपाध्यक्ष निर्वाचित कराने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा कि सपा से विधानसभा उपाध्यक्ष के लिए उम्मीदवार के नाम पर निर्णय राष्ट्रीय अध्यक्ष से चर्चा के बाद पार्टी के विधानमंडल दल की बैठक में किया जाएगा।
चुनाव की तैयारी शुरू
विधानसभा के 18वें उपाध्यक्ष के लिए 18 अक्तूबर को विधानसभा में चुनाव होगा। मंगलवार को विधानसभा सचिवालय में अधिकारियों की बैठक में चुनाव प्रक्रिया को लेकर मंथन हुआ। सूत्रों के मुताबिक बैठक में उपाध्यक्ष के चुनाव के लिए बाकायदा चुनाव कार्यक्रम जारी करने पर सहमति बनी है। इसमें नामांकन, नामांकन पत्रों की जांच और नाम वापसी व चुनाव की स्थिति में मतदान व मतगणना का शेड्यूल तय होगा।

विपक्ष का विरोध हुआ तो कराना पड़ेगा चुनाव
विधानसभा उपाध्यक्ष का पद परंपरा के अनुसार विपक्ष के हिस्से का माना जाता है लेकिन भाजपा की ओर से जिस तरह सपा विधायक नितिन अग्रवाल का नाम चर्चा में आया है, सपा उस पर अपनी सहमति देगी, इसमें संशय है। ऐसे में चुनाव को लेकर विपक्ष की भूमिका अहम होगी। विश्लेषकों का कहना है कि सदन में सत्ताधारी दल का दो तिहाई बहुमत होने से विपक्ष नितिन की जीत सुनिश्चित मानकर सत्र का बहिष्कार भी कर सकता है। पूर्व में विशेष सत्र का विपक्ष बहिष्कार कर चुका है। ऐसे में नितिन निर्विरोध हो सकते हैं। लेकिन यदि विपक्ष विरोध की रणनीति पर आगे बढ़ा तो चुनाव हो सकता है। ऐसी स्थिति में विधानसभा के अंदर चुनाव की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।

सरकार चाहे जिसे बनाए
बसपा विधानमंडल दल के नेता शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने कहा कि उन्हें विधानसभा का सत्र आहूत किए जाने की सूचना प्राप्त हुई है, लेकिन एजेंडा नहीं मिला है। विधानसभा उपाध्यक्ष सरकार का विषय है, सरकार जिसे चाहे बनाए।

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