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जज्बे को सलाम: प्रशासन ने किए हाथ खड़े, चंदे के रुपयों से पुल बनवाकर ग्रामीण बने मिसाल, कई बार हो चुका था हादसा

अगर हौसला बड़ा है तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है, बागपत में बामनौली के ग्रामीणों ने इसे साबित किया है। सालों से प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से पुल बनवाने की मांग करते रहें। प्रशासन ने हाथ खड़े किए तो ग्रामीणों ने हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहने के बजाय खुद ही समस्या का समाधान करने की पहल की और चंदा एकत्र कर सात दिन में पुल बनाकर खड़ा कर दिया। 

ग्रामीण दीपावली पर पूजन कर पुल शुरू कराने की तैयारी कर रहे हैं। बामनौली के 100 से अधिक ग्रामीणों की करीब 500 बीघा कृषि भूमि कृष्णा नदी के पार है। ग्रामीणों को जान जोखिम में डालकर कृष्णा नदी के पार खेती करने जाना पड़ता था। आवागमन के लिए कृष्णा नदी में पाइप दबाकर मिट्टी से कच्चा पुल बनाया, लेकिन कई बार भैंसा-बुग्गी, ट्रैक्टर-ट्रॉली, ग्रामीण नदी में गिरकर हादसों के शिकार हुए। बरसात के दिनों में नदी में पानी ज्यादा आने पर समस्या बढ़ जाती है और मिट्टी का पुल भी बह जाता था। 

पंचायत कर एकत्र किया पांच लाख रुपये चंदा
15 दिन पहले ग्रामीणों ने बामनौली में पंचायत की और इसमें खुद पुल बनाने का निर्णय लिया। 500 रुपये प्रति बीघा चंदा एकत्र किया और 21 अक्तूबर को काम शुरू कर दिया। पांच लाख रुपये की लागत इस पुल को बनाने में आई है।

सेवानिवृत इंजीनियर ने तैयार किया डिजाइन
ग्रामीण पहले केवल तीन पिलर पर पुल बना रहे थे, जो ज्यादा भार पड़ने पर टूट सकता था। पीडब्ल्यूडी की पुल निर्माण शाखा से सेवानिवृत्त इंजीनियर इकबाल सिंह ने इसका तकनीकी डिजाइन तैयार किया और दो पिलर ज्यादा बनवाए। सीमेंट, रोड़ी, रेत, सरिया कितना इस्तेमाल होना है, इसका भी पूरा ध्यान इकबाल सिंह ने खुद रखा।

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