मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना का शुभारंभ यूं तो सहकारिता विभाग का कार्यक्रम था, लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने प्रदेश में मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस सहित पूर्व सीएम हरीश रावत का जिक्र कर इसे पूरी तरह से सियासी रंग में रंग दिया। उनके निशाने पर कांग्रेस से ज्यादा पूर्व सीएम हरीश थे। उन्होंने रावत पर एक के बाद एक लगातार कई हमले किए। अब शाह के इन हमलों के सियासी मायने टटोल जा रहे हैं।
अलग सियासी निहितार्थ निकाले जाने लगे
राज्य की राजनीति अब तक दो प्रमुख पार्टियों भाजपा और कांग्रेस के इर्द-गिर्द घूमती रही है। जो एक के बाद एक सत्ता पर काबिज होती आई हैं। अगर मिथक नहीं टूटा तो इस बार सत्ता का सुख भोगने की बारी कांग्रेस की है। ऐसे में शाह का कांग्रेस पर हमला बोलना राजनीतिक लिहाज से किसी को अंचभित नहीं करता। लेकिन जब शाह के निशाने पर कांग्रेस पार्टी से इतर पूर्व सीएम हरीश रावत आ गए तो इसके अलग सियासी निहितार्थ निकाले जाने लगे। कहा जा रहा है, वर्तमान में जिस तरह से पूर्व सीएम रावत ने वापसी की है, उसे भाजपा ज्यादा सचेत हो गई है।
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शाह पार्टी के दूसरे नेताओं पर भी हमले कर सकते थे, लेकिन उनके निशाने पर हरीश ही रहे। सियासी जानकारों का मानना है कि पंजाब की जिम्मेदारियों से मुक्त होने के बाद हरीश रावत अब खुलकर खेल रहे हैं। उनकी इस सक्रियता से भाजपा असहज है। भाजपा यह मानकर चल रही है कि यदि उसने हरीश रावत को बांध दिया तो कांग्रेस को पार पाना आसान हो जाएगा।
हरीश एक तरफ और कांग्रेस की पूरी टीम दूसरी तरफ खड़ी
जानकारों का यह कहना है कि भाजपा हरीश को किसी भी तरह से कमतर नहीं आंकना चाहती है, उसकी नजर में हरीश एक तरफ और कांग्रेस की पूरी टीम दूसरी तरफ खड़ी है। पिछले दिनों विभिन्न माध्यमों से आए सर्वे में राज्य में हरीश को सीएम के चेहरे के तौर पर सबसे पसंदीदा चेहरा बताया गया। इसे लेकर भी भाजपा सचेत है।
इधर, अगर हरीश रावत की सियासी गतिविधियों की बात करें तो जब से उन्हें पंजाब प्रदेश प्रभारी पद से छुट्टी मिली है, उन्होंने भाजपा पर हमले तेज कर दिए हैं। वह सरकार की योजनाओं केे बगिया ही नहीं उधेड़ते, बल्कि अपने समय में शुरू की गई तमाम योजनाओं का जिक्र करना भी नहीं भूलते। उनका आरोप है कि उनके समय में शुरू की गई तमाम जनहित की योजनाएं भाजपा सरकार ने या तो बंद कर दीं या फिर उन्हें अंधेरी कोठरी में धकेल दिया है।
बिना नाम लिए पूर्व की सरकारों पर साधा निशाना
वहीं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हरिद्वार में बिना नाम लिए पूर्व की कांग्रेस सरकारों पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सरकारों में ऊंचे पदों पर बैठे लोग पहले देश की संस्कृति के प्रचार-प्रसार करने में शर्म महसूस करते थे, लेकिन नरेंद्र मोदी के पीएम बनने से अब परिवर्तन आ रहा है। उन्होंने कहा कि मैं बच्चे की उम्र से सार्वजनिक जीवन में काम कर रहा हूं। तब मेरे मन के अंदर कई बार गहरी निराशा और उदासियां जन्म लेती थीं। मैं सोचता था कि इतना बड़ा देश का लोकतंत्र और लोकतंत्र के सिरमौर पदों पर बैठे लोग भारत की संस्कृति को उजागर करने में क्यों शर्म महसूस करते हैं।
संतों के आशीर्वाद, करोड़ों लोगों के परिश्रम और भाजपा के कार्यकर्ताओं के पुरुषार्थ से नरेंद्र भाई मोदी के पीएम बनने से स्थितियां बदल रही हैं। 2014 में नरेंद्र भाई प्रधानमंत्री की शपथ लेने से पहले काशी गए तो वह भी उनके साथ थे। उन्होंने वहां बाबा काशीनाथ के दर्शन किए। पूरे कपाल पर भभूति लगाकर मां गंगा की आरती करने के लिए आए। तब इस देश में आध्यात्मिक परिवर्तन की शुरूआत हुई। उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने दुनिया को बताया कि योग ऐसा माध्यम है, जिसमें बिना दवाओं के भी जीवन जिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आज पूरा विश्व योग को न केवल अपना रहा है, बल्कि योग दिवस भी मना रहा है।
बड़े नहीं, छोड़े संकल्पों से भारत बनेगा विश्व गुरू
अमित शाह ने कहा कि मैं यह नहीं कहता कि आप आतंकवाद के साथ जाकर लड़ें। ये बड़े संकल्प लेने की जरूरत नहीं है। जबकि छोटे संकल्प लेने होंगे, जैसे थाली में भोजन नहीं छोड़ना, ट्रैफिक का उल्लंघन नहीं करना। महिलाएं घर में पानी बर्बाद नहीं होने दें। यदि ये छोटे-छोटे संकल्प जीवन पर्यंत करेंगे तो 130 करोड़ भारतीयों के संकल्प भारत माता को फिर से विश्व गुरु के पद निश्चित आसीन करेेंगे।