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जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने कहा कि अतिवाद, कट्टरवाद और आतंकवाद समसामयिक जीवन के सबसे चिंताजनक पहलु हैं। इसी टिप्पणी के साथ हाईकोर्ट ने आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के एक मददगार पर जन सुरक्षा अधिनियम हटाने की याचिका खारिज को खारिज कर दिया। जस्टिस ताशी राबस्तन ने कहा कि सार्वजनिक सुरक्षा को खतरे में डालने वाली एक व्यक्ति की गतिविधि हो या समूह में, इसकी व्यापकता पूरे समाज को प्रभावित करती है। दया के नजरिए से कोई भी अदालत इस पहलु को नजरअंदाज नहीं कर सकती।
अभियोजन के अनुसार पुलवामा के राजपोरा का रहने वाला मुंतजिर अहमद भट अरिहल गांव में हुए आईईडी विस्फोट और गोलीबारी से हमले में मुख्य आरोपी यासिर अहमद परे के साथ शामिल था। इस हमले में सैन्य जवान शहीद हो गया था जबकि कई जवान घायल हुए थे। भट ने परे के साथ मिलकर विस्फोट के मकसद से मारुति कार खरीदी थी। हाईकोर्ट ने कहा कि हिंसक व्यवहार नया नहीं है, लेकिन अतिवाद, कट्टरवाद और आतंकवाद ने इसे पूरे दुनिया के लिए असाधारण खतरा बना दिया है।
किसी भी राज्य के लिए लोकतंत्र, सुरक्षा, सार्वजनिक कायदा, नियम-कानून और संप्रभुता मुख्य बिंदु होते हैं और आतंकी गतिविधियां इन सभी पर हमला हैं। इस आधार पर याचिका खारिज की जाती है। गौरतलब है कि भट जुलाई 2021 में पीएसए लगाए जाने के बाद से जेल में है।
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