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संतकबीरनगर: दो जवान बेटों की मौत से टूटा मां-बाप का हौसला, आठ महीने के अंदर दो भाइयों की हुई मौत

हर माता-पिता की अंतिम इच्छा यही होती है कि उनकी अर्थी उसके बेटों के कंधे पर निकले, लेकिन जब दो-दो जवान बेटों की अर्थी पिता को अपने कंधों पर उठाने को मजबूर होना पड़े तो इसे नियति का क्रूर मजाक ही कहेंगे। आंखों में आंसू, कांपते होंठ, लड़खड़ाते पैर बेटे की मौत के गम में दुखी माता-पिता की पीड़ा बयां कर रहे थे। संवेदना जताने वाले लोग नियति को ही कोस रहे थे कि आठ महीने के अंदर दोनों सगे भाइयों का दुखद अंत एक ही शहर में तय कर दिया था।

    
रविवार को नगर पंचायत हरिहरपुर के वार्ड एक अंबेडकरनगर, सवापार निवासी दीनानाथ पांडेय के बड़े पुत्र अरविंद पांडेय की गुरुग्राम में सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। कुछ माह पूर्व उनके बेटे उपेंद्र पांडेय की मौत गुरुग्राम में ही सड़क दुर्घटना में हो गई थी। उपेंद्र की मौत का जख्म हरा ही था कि दूसरे बेटे की भी मौत की खबर ने परिवार को तोड़ कर रख दिया। जिसने भी यह घटना सुनी, मुंह से आह निकल आई।

दूसरे बेटे की मौत की खबर ने माता-पिता को इस कदर झकझोर दिया कि उनकी जिंदगी का हौसला ही टूट गया। हरिहरपुर के वार्ड नंबर एक अंबेडकरनगर सवापार निवासी दीनानाथ पांडेय के तीन पुत्रों में बड़ा बेटा अरविंद पांडेय हरियाणा प्रांत के गुरुग्राम में रहकर एक कंपनी में बतौर सेल्समैन कार्य कर रहा था। रविवार को करीब नौ बजे काम पर जाते समय पीछे से आ रही तेज रफ्तार कार ने चपेट में ले लिया, जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई।
पति की मौत का गम और चार बच्चों की परवरिश की चिंता
अप्रैल में इसी शहर में दूसरे नंबर के बेटे उपेंद्र पांडेय की भी सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। अब माता-पिता का इकलौता सहारा सबसे छोटा पुत्र विपेंद्र पांडेय है, स्नातक का छात्र है। उसी के सहारे माता-पिता की जिंदगी कटेगी। अरविंद का शव मंगलवार की सुबह आने की संभावना है।  

अरविंद पांडेय की पत्नी रंजना पति की मौत के सदमे से उबर नहीं पा रही है। सिर पर दुखों का बोझ लिए रंजना पांडेय को अपने चारों बच्चों की परवरिश की चिंता सता रही है। अरविंद के चार बच्चों में दिशा (11), दीक्षा (10), सारिका (छह) और चार वर्षीय पुत्र है।

परिवार को सांत्वना देने पहुंचे पूर्व चेयरमैन भाजपा नेता बृजेश पाल, हियुवा नेता सुभाष त्रिपाठी ने परिवार के प्रति गहरी संवेदना जताई। लोगों ने कहा कि एक के बाद एक हुई अनहोनी ने माता-पिता का सहारा छीन लिया। पति की मौत के गम में पीड़ित पत्नी और अनाथ हुए मासूमों की पीड़ा दिल को झकझोर देने वाली है।

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