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आगरा: परिवार परामर्श केंद्र में सलाह से शक का इलाज, 100 परिवारों में लौटीं खुशियां

आगरा के परिवार परामर्श केंद्र में हर महीने लगभग 100 दंपतियों के शक का इलाज सलाह से हो रहा है। इससे टूटते परिवारों में खुशियां लौट रही हैं। परिवार परामर्श केंद्र पर हर महीने 150 से अधिक मामले पारिवारिक विवाद के आ रहे हैं। 

इनमें पति के देर रात तक मोबाइल पर बातें करने, पत्नी को साथ न रखने आदि के मामले ज्यादा आ रहे हैं। पति और पत्नी के बीच शक से पैदा हो रही दरार बच्चों को भी परेशान कर रही है। 

केंद्र के काउंसलर का कहना है कि दिमाग से गलतफहमी निकालना काफी मुश्किल का काम होता है। इसके बाद भी घर टूटने से बचाने का हमारा प्रयास रहता है। इसमें हम काफी हद तक कामयाब रहते हैं। इससे परिवार में खुशियां भी लौट रही हैं।
पत्नी का शक हुआ दूर 
शादी के दो साल बाद सुनीता सिंह (काल्पनिक नाम) ने अपने पति रमेश (काल्पनिक नाम) के साथ रहने से मना कर दिया। वजह पति के देर रात तक फोन से बात करते रहना था। मामला परिवार परामर्श केंद्र पहुंचा। यहां काउंसिलिंग के बाद सुनीता का शक दूर हो गया। सुनीता कहती हैं कि केंद्र पर मिली सलाह से परिवार में कलह समाप्त हो चुकी है। 

काउंसिलिंग से दरार समाप्त 
पति अवधेश कुमार (काल्पनिक नाम) का अपनी पत्नी नंदनी (काल्पनिक नाम) के देर रात तक ऑफिस में रहने को लेकर शक इस कदर बढ़ गया कि उन्होंने उसके साथ साथ रहने से मनाकर दिया। परिवार परामर्श केंद्र ने पति और पत्नी को एक साथ बैठाकर उस शक को दूर किया, जो जीवन में दरार का काम कर रहा था। 

तेजी से हो रहा निपटारा
परिवार परामर्श केंद्र के काउंसलर डॉ. अमित गौड़ बताते हैं कि हर महीने 150 में से 100 मामलों का निपटारा केंद्र पर हो जाता है। पति-पत्नी के बीच संवाद की कमी के कारण यह स्थिति पैदा होती है। हमारा प्रयास रहता है कि केंद्र पर ही सभी मामले निपटा दिए जाएं। इसके लिए काफी माथापच्ची करनी पड़ती है। 
विश्वास की कमी से बढ़ता है शक  
मनोचिकित्सक डॉ. केसी गुरनानी का कहना है कि छह महीनों से शक के मामलों में तेजी आई है। पहले जहां दस दिन में में दो-तीन केस आते थे, वहीं इनकी संख्या बढ़कर लगभग पांच हो चुकी है। 

गुरनानी कहते हैं कि पति और पत्नी में विश्वास की कमी शक का सबसे बड़ा आधार है। घरों में दोनों में एक-दूसरे से बातचीत कर मुद्दों को सुलझाना ही इसका एकमात्र मजबूत उपाय है। उन्होंने बताया कि शादी के छह महीने से लेकर दो साल के बीच के मामलों की संख्या अधिक रहती है। 

शक दूर करना मेहनत का कामः कमर सुल्ताना 
केंद्र की प्रभारी कमर सुल्ताना का कहना है कि केंद्र पर हर महीने का मकसद हरेख घर की खुशियां लौटाना है। सुल्ताना बताती हैं कि शक दूर करना काफी मेहनत का काम है। दिमाग से गलतफहमी निकालने के लिए दंपतियों को समझाना पड़ता है।

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