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पूर्वांचल में फ्लै टवर्म (फेसियोला हिपेटिका) का पहला मरीज मिला है। सिटी हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने सफल ऑपरेशन कर मरीज की जान बचाई है। डॉक्टरों के मुताबिक फ्लैट वर्म आमतौर पर जानवरों के लिवर में पाया जाता है। यह जानवरों के लिवर में को सड़ा देता है। इसकी वजह से उसकी मौत हो जाती है।
आमतौर पर यह तालाब के किनारे उगी घास पर अंडे देता है। जब पशु घास खाता है। उसी के द्वारा यह उसके लिवर में चला जाता है। इसका दूसरा स्रोत घोघा या जलीय जीव होते हैं।
सिटी हॉस्पिटल के गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डॉ. विवेक मिश्रा ने बताया कि ओपीडी में बुधवार को 59 वर्षीय व्यक्ति मरणासन्न अवस्था में आया था। एंडोस्कोपी की जांच में फ्लैटवर्म का दुर्लभ केस मिला। यह पूर्वांचल का पहला केस है। इसमें कीड़ा लिवर के पित्त नलिका में मौजूद था। इसकी मौजूदगी से लिवर के पोर्टल वेन सिस्टम में प्रेशर बढ़ जाता है। जिससे गैस्टिक वैरिक्स बन कर फट जाता है। जिसकी वजह से ब्लीडिंग शुरू हो जाती है। इससे मरीज की मौत हो सकती है।
उन्होंने बताया कि इस केस में नई बातें यह थी कि फ्लैट वर्म ब्लीडिंग नहीं करवाता है। इस मरीज में यह रक्तस्राव करवा रहा था। एंडोस्कोपी की मदद से प्रभावित जगह पर ग्लू इंजेक्ट करके कीड़े को मार दिया गया। इसके बाद उसे बाहर निकाल दिया गया। इस उपलब्धि पर डॉ. विवेक मिश्रा को डॉ. एके मल्ल और शहर व प्रदेश के कई डॉक्टरों ने बधाई दी। डॉ. विवेक ने कहा कि यह अपने तरह का दुर्लभ केस है। इसके बचाव के लिए घोघा के इस्तेमाल से बचना जरूरी है।
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